
आप इच्छापूर्ति के लिए जीवन जीते हैं, दिगम्बर संत इच्छाओं को जीतने के लिए साधना करते हैं–भावलिंगी संत आचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज
शाब्दिक उपदेशों से भी अधिक शिक्षा व संस्कार जनमानस को तब प्राप्त होता है जब दो संत वात्सल्य भाव के साथ परस्पर आत्मीय मिलन करते हैं। जनसमूह को बिना बोले ही “जीवन कैसे जीना चाहिए” यह सदुपदेश प्राप्त हो जाता है। ऐसा ही शुभ पावन दृश्य 19 जून की प्रातः बेला में धर्मनगरी मुज़फ्फर नगर…