24 घण्टे में एक कार्य स्वार्य रहित होकर अवश्य करें, जीवन संवर जायेगा- भावलिंगी संत दिगम्बराचार्य श्री विमर्शसागर जी मुनिराज
जीवन है पानी की बूंद” महाकाव्य के मूल रचनाकार राष्ट्रयोगी संघ शिरोमणि भावलिंगी संत दिगम्बर श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्शसागर जी महामुनिराज अपने विशाल चतुर्विध संघ (30 पीछी) के साथ प्रथम बार प्राचीन धर्मनगरी रामपुर मनिहारान में पधारे। 27 अक्टूबर को धर्मनगरी सहारनपुर से चातुर्मास के पश्चात पदविहार करते हुए 31 अक्टूबर को आचार्य गुरुवर चतुर्विध…

