
जो ज्ञान अभिमान पैदा करे वह ज्ञान नहीं घोर अज्ञान है- भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्शसागर जी महामुनिराज
सहारनपुर-जिन्दगी में दुःख तो हर कदम पर मिलते हैं किन्तु सुख प्राप्त करने के लिए, जो स्वयं परमसुखी हो गये हैं ऐसे जिनेन्द्र भगवान के चरणों में आना होगा। जिसप्रकार, तीक्ष्ण धूप से संतप्त मनुष्य सघन विशाल वटवृक्ष का आश्रय करता है उसी प्रकार, संसारी जीव को सुख प्राप्ति के लिए जिनेन्द्र भगवान का झाश्रय…