इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के सभागृह में भारतीय प्राचीन गणित केंद्र द्वारा गणित पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला 15 एवं 16 सितंबर को संपन्न हुई। कार्यशाला का उद्घाटन देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर राकेश सिंघई ने किया। मुख्य अतिथि थे महर्षि वाल्मीकि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरु प्रोफेसर रमेश चंद्र भारद्वाज।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए प्रोफेसर राकेश सिंघई ने भारतीय ज्ञान परंपरा को क्रम से संयोजित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि मानव जाति का सबसे बड़ा टूल गणित ही है, जो हर जगह समाहित है। उन्होंने कहा कि पिंगल के छंद शास्त्र और संस्कृत भाषा के ग्रंथों में गणित की महत्वपूर्ण जानकारी छुपी हुई है, जिसे निकालने की आवश्यकता है।
कार्यशाला का उद्देश्य
प्राचीन भारतीय गणित केन्द्र द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य स्नातक द्वितीय और तृतीय वर्ष तथा स्नातकोत्तर तृतीय और चतुर्थ सेमेस्टर के पाठ्यक्रम को संशोधित करना है। कार्यशाला में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों ने भाग लिया और भारतीय ज्ञान परम्परा को नई पीढ़ी को हस्तांतरित करने के महत्व पर चर्चा की। प्राचीन भारतीय गणित केन्द्र के निदेशक डॉ. अनुपम जैन ने अतिथियों को केंद्र के संबंध में जानकारी दी और कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि के विचार
मुख्य अतिथि प्रो. रमेशचन्द्र भारद्वाज ने कहा कि भारत के हृदय क्षेत्र मध्य प्रदेश ने भारत को भारत बनाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को प्रारंभ किया है। उन्होंने कहा कि आगामी 2-3 महीनों में कार्यशाला में किए गए कार्यों का परिणाम सबके सामने आ जाएगा।
कार्यशाला की आख्या कार्यशाला के समापन सत्र में डॉ संजीव टोकेकर की अध्यक्षता में कार्यशाला की आख्या प्रस्तुत की गई और सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। कार्यशाला के अंत में सभी ने गणित के क्षेत्र में भारतीय ज्ञान परंपरा को नई पीढ़ी को सक्षमता से हस्तांतरित करने का संकल्प किया ।
श्रीमान संपादक महोदय कृपया विज्ञप्ति चित्र सहित प्रकाशित कर अनुगृहित करें धन्यवाद।
राजेश जैन दद्दू धर्म समाज प्रचारक