
संतान की सुरक्षा धन से नहीं, संस्कारों से है- भावलिंगी संत दिगम्बराचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज
सहारनपुर-जीवन में जब तक शुद्धि नहीं होती अपने ही विचारों की तब तक जीवन मृततुल्य है। जिनेन्द्र भगवान ने हम सबके लिए तीन प्रकार की शुद्धि बताई है, उनमें पहली है मन शुद्धि पश्चात् वचन शुद्धि और काया शुद्धि। आज हमें मन प्राप्त हुआ है, , मन का कार्य है अच्छे-बुरे का निर्णय करना ।…