इंदौर-हमें गुणी,ज्ञानी, त्यागी, धर्मात्मा,साधु एवं सज्जनों के प्रति सम्मान का भाव रखना चाहिए, उन्हें देखकर हमारे मन में उनके प्रति मन,वचन,काय से उदारता एवं वात्सल्य प्रदर्शित होना चाहिए। यह बात गणिणी आर्यिका यशस्विनी माताजी ने रविवार को दिगंबर जैन आदिनाथ जिनालय छत्रपति नगर में धर्म सभा में कही ।
उन्होंने कहा कि आजकल आप लोगों की दृष्टि दूसरों के गुणों पर नहीं दोषों पर ज्यादा रहती है। पर निंदा करने और सुनने में तुम्हें आनंद आता है जबकि तुम्हें दूसरों के दोषों को देखने के बजाय स्वयं के दोषों को देखना चाहिए और सुधार करना चाहिए। पर निंदा करने और सुनने वाले को हिंसा का दोष लगता है।
अपने आगे कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को सात प्रकार की सांसारिक क्रियाओं के समय जैसे स्नान,भोजन, मल मूत्र विसर्जन, दूसरों के दोष दिखाई देने पर, षट आवश्यक कर्तव्यों के पालन ,वमन एवं वाद विवाद के समय मौन रहना चाहिए। ऐसा करने से मन शांत रहेगा।
धर्म सभा में माता जी के गृहस्थ जीवन के भाई प्रद्युम्न पाटनी, भूपेंद्र जैन राजेश जैन दद्दू, डॉ जैनेंद्र जैन, अतुल जैन चीकू आदि उपस्थित थे संचालन श्रीमती सोनाली बागड़िया ने किया।
गुणी, ज्ञानी, त्यागी, धर्मात्मा, साधु, एवं सज्जनों के प्रति सम्मान का भाव रखें

