इटावा- इटावा महोत्सव एव प्रदर्शनी के पंडाल में देर रात आयोजित स्थानीय मुशायरे में एक से बढ़कर एक कलाम पढ़कर वाहवाही लूटी। कार्यक्रम की शुरूआत में मुख्य अतिथि फुरकान अहमद पूर्व अध्यक्ष नगर पालिका का मुशायरा कन्वीनर इम्तियाज अहमद अंसारी एडवोकेट ने फूल माला, बैज लगाकर व शाल ओढ़ाकर स्वागत किया। अध्यक्षता कर रहे उस्ताद शायर सलीम वारसी का स्वागत मास्टर असलम अंसारी ने किया। संचालन शायर यासीन अंसारी ने किया। इस मौके पर फुरकान अहमद ने कहा कि मुशायरे समाज की सही तस्वीर पेेश करते है।उन्होंने ऊर्दू की तरक्की के लिए इस तरह के मुशायरांे का आयोेजन वर्ष में दो तीन बार करने का सुझाव दिया। कार्यक्रम की शुरूआत में उस्ताद शायर साबिर इटावी ने नात पाक पढ़ी। नवोदित शायर तालिब लईकी ने पढ़ा मैं छोटा हूं मगर दिल में अरमान बड़े रखता हूं। आमिर अंसारी ने पढ़ा अपने जज्बात को दिल में ही दबा लेते है हम तो दुश्मन को भी गले लगा लेते है। सुहेल अहमद सुहेल ने कहा अज्म फौलाद है सरहद भी गवाही देगी किसकी हिम्मत है जो भारत को मिटाने आए। आरिफ सिद्दीकी नूर ने पढ़ा अपना पैैगाम है सभी के लिए वक्त रूकता नहीं किसी के लिए। रौनक इटावी ने पढ़ा माना ए दिल से हमने की फनकारी आप है हम जानते है कि कितने कलाकारी आप है। नईस भारती ने पढ़ा पहन के मोम के कपड़े कहां चले हो मियां ये पतता सूरज है ठंडा बिलाल थोड़े ही है। रियाज कलवारी ने पढ़ा छू रही है आजकल आसमां बेटियां लिख रही नईं दास्तां बेटियां। नदीम अहमद एडवोकेट ने कहा फिर उसकी जद में अपने चिरागों को रख दिया देखे खिलाफ कितनी हवा हम से हुई है। अंत में कन्वीनर ने सभी का आभार व्यक्त किया। हरिओम सिंह विमल, सरदार हाशिम नईमी, शाहरूख अंसारी, वैभव यादव, नबाब अहमद अजहर, शकील सागर, इरफान आदिल, हिरा कासमी, आमिर इटावी ने कलाम पेश किये। कार्यक्रम मंे मास्टर असलम अंसारी, मास्टर सुल्तान, इसरार मास्टर, फिरोज अंसारी, सलीम अंसारी, राजू, डुल्ले राजपूत, मुईन अंसारी, रिजवान अहमद, सतेन्द्र वर्मा, सलिल वर्मा, ओमकार वर्मा, शाहिद सिद्दीकी, सभासद शरद बाजपेयी, दिलाशाद, लल्ला अंसारी, सचिन कठेरिया, जैनुल अंसारी, सरफराज अंसारी आदि मौजूद रहे।
इटावा महोत्सव में हुआ स्थानीय मुशायरे का आयोजन

