सकल दिगंबर जैन समाज मुरार के तत्वाधान में भव्यता के साथ प्रारंभ हुआ श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान

ग्वालियर, 29 अक्टूबर। पूज्य आर्यिकाश्री विजयमती माताजी ने आज मुरार जैन धर्मशाला में अष्टदिवसीय श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के शुभारंभ उत्सव में अपनी दिव्य वाणी से धर्म की प्रवाहना करते हुए कहा कि श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान एक ऐसा अनुष्ठान है, जो हमारी जीवन के समस्त पाप, ताप और संताप को नष्ट कर देता है। सिद्ध शब्द का अर्थ है कृत्य। कृत्य चक्र का अर्थ है समूह और मंडल का अर्थ एक प्रकार के वृताकार यंत्र से है। इनमें कई प्रकार के मंत्र व बीजाक्षरों की स्थापना की जाती है। मंत्र शास्त्र के अनुसार इसमें कई प्रकार की दिव्य शक्तियां प्रकट हो जाती है।
स्वर्ग से इंद्रलोक भी आते हैं भगवान की भक्ति करने:
आर्यिका विजयमती माताजी ने प्रवचनों में बताया कि जैन पुराणों के अनुसार मैना सुंदरी ने इसी सिद्धचक्र महामंडल विधान के आयोजन से अपने कुष्ठ रोगी पति श्रीपाल को कामदेव जैसा सुंदर बना दिया। अष्ठानिका पर्व में स्वर्ग से इंद्रलोक भी नंदीश्वर मंदिर में भगवान की भक्ति करने आते हैं। फाल्गुन, कार्तिक और आषाढ़ के अंतिम आठ दिन अष्टमी से पूर्णिमा तक यह पर्व आता है। इन आठ दिनों में सिद्धों की यह विशेष आराधना के लिए सिद्धचक्र विधान किया जाता है।
अनुष्ठान में समर्पित किए जाएंगे कुल 2040 अर्घ्य:
मुरार जैन मंदिर के अध्यक्ष दिनेश चंद्र जैन ऐसा वाले एवं ग्वालियर जैन समाज के मीडिया प्रभारी ललित जैन भारती ने जानकारी देते हुए बताया किपरम पूज्य आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज, आचार्यश्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज, आर्यिकाश्री विशुद्धमती माताजी के मंगल आशीर्वाद से
पूज्य आर्यिकाश्री विजयमती माताजी के सानिध्य में सकल दिगंबर जैन समाज मुरार द्वारा जैन धर्मशाला मुरार में आयोजित किए जा रहे आठ दिवसीय श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान में आज बुधवार को प्रथम दिन 8 अर्घ्य जिनेन्द्र भगवान को अर्पित किए गए। कल गुरुवार को द्वितीय दिन 16, तृतीय दिन 32, इस प्रकार से बढ़ते क्रम में इस धार्मिक अनुष्ठान में कुल 2040 अर्घ्य समर्पित किए जाएंगे।
विधानाचार्य ने बताया जैन परंपरा में पूजा, उपासना का विशेष महत्व :
विधानाचार्य बा. ब्र. नवीन भैया, त्रिलोक तीर्थ, बड़ागांव ने आज विधान में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान कराते हुए कहा कि जैन परंपरा में पूजा, उपासना का विशेष महत्व है। इनमें से सिद्धचक्र महामंडल विधान की और भी अधिक महिमा है। मुरार जैन मंदिर एवं सकल दिगम्बर जैन समाज, मुरार के तत्वाधान में चल रहे सिद्धचक्र महामंडल विधान में पहले दिन श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। सर्वप्रथम जिनेंद्र भगवान का पाद प्रक्षालन हुआ। इसके बाद जिनेंद्र देव का अभिषेक किया गया। इसके बाद सिद्ध चक्र महामंडल विधान की आराधना प्रारंभ हुई। प्रात 7 बजे से भगवान का अभिषेक, शांतिधारा, सिद्व भगवान की आराधना करते हुए विधान की विशेष पूजा की गई।
ध्वजारोहण, चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ मंडल का उदघाटन :
प्रारंभ में नरेश जैन, लहचूरा वालों द्वारा ध्वजारोहण किया गया। आचार्य श्री सन्मति सागर जी महाराज का चित्र अनावरण दिलीप नायक एवं दीप प्रज्ज्वलन इंजी. ब्रजेश जैन एवं मंडल का उदघाटन अशोक कुमार जैन ने किया। इससे पूर्व भगवान की शांतिधारा सौधर्म इन्द्र बने नरेन्द्र कुमार आशीष जैन एवं ओमप्रकाश जैन ने की।
आज गुरुवार को प्रातः से होगी भगवान की आराधना-
मुरार जैन मंदिर के मंत्री देवेंद्र जैन एवं जैन समाज के प्रवक्ता ललित जैन भारती ने बताया कि विधान महोत्सव में मुरार जैन धर्मशाला परिसर में कल गुरुवार, 30 अक्टूबर को प्रतिदिन प्रात 6.30 बजे से भगवान का अभिषेक, शांतिधारा, सिद्व भगवान की आराधना करते हुए विधान की विशेष पूजा एवं आर्यिका श्री विजयमती माताजी के प्रवचन होंगे, वहीं सांयकाल 7 बजे महाआरती एवं सांस्कृतिक आयोजित किये जायेंगे

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