
जहां समाज में एकता, भक्ति और समर्पण होगा, वहीं चातुर्मास होगा -मुनिश्री विलोकसागर
मुरैना (मनोज जैन नायक) साधु संत किसी समाज की या व्यक्ति विशेष की संपत्ति नहीं होते । वे तो अविरल जल धारा की तरह होते हैं। साधु संतो के खासकर, दिगम्बर साधुओं के कोई मठ या कोई निश्चित निवास नहीं होते । वे तो निरंतर पद विहार करते हुए धर्म प्रभावना करते हैं। दिगम्बर संत…