
भगवान की भक्ति दीपक की भाँति हमारे दीप को भी प्रज्वलित कर देती है- भावलिंगी संत दिगम्बराचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महामुनिराज
जैन बाग में लग रहा है सिस आराधना का मेला संसार में जितने भी जीव हैं वे सभी धर्मात्मा जीव हैं क्योंकि प्रत्येक जीव के अन्दर अनन्त धर्म विद्यमान हैं। प्रत्येक आत्म प्रव्य अनन्त धर्मात्मक गुणों का चित्पिण्ड है किन्तु वे सभी गुणधर्म वर्तमान में विभाव रूप से परिणमन कर रहे हैं और जीव अपने…