गुरु पूर्णिमा पर परम पूज्य संत शिरोमणि विद्या सागर जी महामुनिराज के अवतरण दिवस के स्वर्णिम अवसर पर भावांजलि
जहाँ त्याग तपस्या संयम शील को बहती निर्मल धारा वो विद्यागुरु हमारा 2 पिता श्री मल्लपा जी और मात श्रीमति के दुलारे बचपन से विद्यासागर ने श्री जिनवचन उच्चारे लिया तरुणाई में ब्रहमचर्य व्रत है यह कितना न्यारा वो विद्यागुरु हमारा 2 संसार शरीर और भोगो से जिसने है नेह हटाया गुरु ज्ञान सागर जी…

