
“तुम्हारी ख्वाहिशें मायने रखती हैं”
क्यों तुम खुल कर अपनी बात नहीं रखते ? ज्यों-ज्यों समय बीत रहा तुम उदास रहते ? किन उलझनों में उलझे हुए हो हरदम रहते ? अपने लिये तुम खास इंतजाम क्यों नहीं करते ? जो तकलीफ़ देते हैं उनसे दूर क्यों नहीं रहते ? अपने एकांत का भरपूर आनंद क्यों नहीं लेते ? कभी…