
स्वाध्याय मुक्ति के द्वार तक पहुंचाने में सहायक होता है -मुनिश्री विलोकसागर
मुरैना (मनोज जैन नायक) भौतिकवादी आधुनिक युग में श्रावक स्वाध्याय से दूर होते जा रहे हैं। जबकि स्वाध्याय श्रावक के लिए स्वाध्याय परम आवश्यक है । स्वाध्याय जीवन के विकास की एक अनिवार्य आवश्यकता होते हुए संयम की साधना में सहायक होता है । स्वाध्याय से मिलने वाला ज्ञान सुरक्षित रहता है तथा श्रावक के…