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पट्टाचार्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर संसघ सिद्ध क्षेत्र सिद्धवरकूट में रविवार को भव्य मंगल प्रवेश होगा

पट्टाचार्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर संसघ सिद्ध क्षेत्र सिद्धवरकूट में रविवार को भव्य मंगल प्रवेश होगा
राजेश जैन दद्दू
इंदौर
विश्व प्रसिद्ध सिद्ध जैन तपो स्थल सिद्धवरकूट में पट्टाचार्य आचार्य विशुद्ध सागर जी के संसघ मंगलमय सान्निध्य में तीन दिवसीय भव्य जिन बिम्ब पंचकल्याणक महोत्सव होगा।
प्रसिद्ध ओंकारेश्वर तीर्थ नगरी के उत्तर तट पर सिद्ध क्षेत्र सिद्धवरकूट जैन तीर्थ में 20 अप्रैल रविवार को प्रातः काल में भव्य मंगल प्रवेश होने जा रहा है।
धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने कहा कि पट्टाचार्य आचार्य
चर्या शिरोमणि, अध्यात्म योगी, धरती के देवता, शताब्दी देशनाकार आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज का सिद्ध क्षेत्र सिद्धवरकूट में तीसरी बार संसघ मंगलमय आगमन हो रहा है। आचार्य संघ विगत 2014 व2017 में सिद्धवरकूट क्षेत्र के दर्शन कर चुके है, उस दौरान मूलनायक भगवान श्री संभवनाथ मंदिर की वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव पूज्य आचार्य श्री के सानिध्य में संपन्न हुई थी। दद्दू ने कहा कि 20 अप्रैल से 22 अप्रैल तक होगा लघु जिन बिम्ब पंचकल्याणक महामहोत्सव पंचकल्याणक-एव क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष अमित कासलीवाल ने बताया कि परम पूज्य आचार्य श्री के संसघ सानिध्य में लघु पंचकल्याणक प्रतिष्ठा पंडित शरद बनारसी छिंदवाड़ा के निर्देशन में संपन्न होगी। क्षेत्र कमेटी के ट्रस्टी बाबूलाल जैन, महामंत्री विजय काला, ट्रस्टी आशीष चौधरी ने कहा कि महोत्सव का झंडारोहण चित्रांश रिया जैन गुरुग्राम द्वारा किया जाएगा। भगवान के माता-पिता
बनने का परम सौभाग्य पंडित रमेश ममता जैन भिंड ने प्राप्त किया है। महोत्सव के सौधर्म इंद्र प्रवीण निशा जैन, माहेंद्र इंद्र विजय संगीता कटारिया इंदौर कुबेर इंद्र मयूर प्रिंसी जैन, राजा श्रेयांश अनिल पूनम सेठी दिल्ली इन सभी को महोत्सव के पात्र बनने का सोभाग्य प्राप्त किया।
तीस हजार वर्ष अतिप्राचीन तीर्थ सिद्धवरकूट क्षेत्र कमेटी के प्रचार संयोजक व क्षेत्र की इतिहास पुस्तक सुहावना सिद्धवरकूट के लेखक राजेंद्र जैन महावीर सनावद ने कहा
कि वयोवृद्ध विद्वान और इतिहासकार डॉक्टर सूरजमल बोबरा इंदौर ने ऐतिहासिक साक्ष्य प्रमाणों के आधार पर कहा है कि क्षेत्र से मोक्ष पधारे दो चक्री दस काम कुमार सहित साढ़े तीन करोड़ मुनियों भी सिद्ध क्षेत्र सिद्धवरकूट से निर्माण को प्राप्त हुए हैं, उन्होंने सिद्धवरकूट रेवा तट से ही तपस्या की थी उनके नाम से ही यह क्षेत्र अभी भी मांधाता के नाम से जाना जाता है। प्रथम तीर्थंकर त्रह्मभदेव की अति प्राचीन अतिश्यकारी प्रतिमा, एवं मूलनायक संभवनाथ भगवान की प्रतिमा तीर्थ पर विराजित है। रेवा नर्मदा तट स्थित इस तीर्थ पर श्रमण संस्कृति के संतों का विशेष आशीर्वाद रहा है आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज का चातुर्मास, समाधिष्ट महामहिम आचार्य विद्यासागर जी महाराज का तीन बार लंबा प्रवास व पट्टा चार्य आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के गुरु गणाचार्य आचार्य विराग सागर जी महाराज आगमन सिद्ध क्षेत्र सिद्धवरकूट में पूर्व में हो चुका है।
क्षेत्र कमेटी के लोकप्रिय अध्यक्ष अमित कासलीवाल, बाबूलाल जैन, विजय काला, नंदलाल टोंगिया, महेंद्र सराफ, कैलाश मोटाघर, आशीष चौधरी, सुनील जैन, ललित बड़जात्या योगेंद्र सेठी सुभाष सामरिया, मुकेश पेप्सी, कैलाश जैन, संतोष जैन ने आदि ने महामहोत्सव मे पधारने की अपील की

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