
अपने इष्ट के बताए हुए मार्ग पर चलना ही साधना हैं -मुनिश्री विलोकसागर
मुरैना (मनोज जैन नायक) हम अपने इष्ट को पूजते तो हैं, उनकी भक्ति तो करते हैं, उनकी जय जयकार तो बोलते हैं लेकिन उनको हृदय से स्वीकार नहीं करते, उनके बताए हुए सिद्धांतों का पालन नहीं करते, उनके बताए गए मार्ग पर नहीं चलते । इसी प्रकार आप साधु को तो पूजते हैं लेकिन साधु…