शिवपुरी- होटल मातोश्री में दिनांक 22.04.2025 को आयोजित पांडित्य कर्म विद्वान ब्राहम्ण सम्मान समारोह सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ कार्यक्रम का शुभांरम्भमहामण्डलेश्वर पुरुषोतम दास जी महामण्डेलश्वर अनिरूद्ध बन महाराज धूमेश्वर धाम भितरवार, पूज्य संत चूना खो सरकार पूज्य संत बाई महाराज किशोरीदास जी करह आश्रम, परम पूज्य महंत रूद्र चेतन्यपुरी बगीचा सरकार करैश, श्रेष्ठ आचार्य जगदीश जैमिनी जी. श्री हरिशंकर शास्त्री जी., गिरदास महाराज बांकडे एवं आचार्य डॉक्टर श्री गिरीश दुबे जी के द्वारा भगवान परशुराम जी के छाया चित्र पर दीप प्रज्जवलित कर माल्यार्पण के साथ अस्ति वाचन श्लोक, महामत्रो की गूजों के बीच हुआ।
तत्पश्चात मंचासीन संत एवं आचार्य विभूतियों का स्वागत वस्त्र, श्रीफल, कार्यक्रम स्मृति चिन्ह, भेट कर दक्षिणा प्रदान करते हुये सर्व ब्राहम्ण समाज के वरिष्ठ जनों अध्यक्ष भरत शर्मा, राजू दुबे खजूरी, रामजी ब्यास, डॉक्टर सुखदेव गौतम, अतांक कुंडा गोपाल त्रिवेदी, विवेक पालिवान, गौपाल गौर, सजीव विलगईयाँ, शीतल शर्मा, शिवकुमार चौथे, युवा ब्राहम्ण अध्यक्ष विशाल भारद्वाज, रामसत्य त्रिवेदी, संरक्षक समिति श्रीमति शोभा पुरोहित, श्रीमति शशि पाराशर श्रीमति नमृता गौतम, श्रीमति रजना पचौरी, वरिष्ठ जन जी पी शर्मा सेवानिवृत डी एस.पी. सुरेश दुबे बांकडे, पुरुषोतमकांत शर्मा, सी.पी. कैप्टन, दिलीप मुदगल, सूरज अवस्थी, राहितास नायक, शशिकांत भारद्वाज तथा अन्य विप्रजनों द्वारा किया गया।
जिला अध्यक्ष भरत शर्मा ने अपने उद्बोधन में कार्यक्रम की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुये कहा कि सर्व ब्राहम्ण समाज की सामान्यता है कि वर्तमान हालातो में भी ब्राहम्ण का अस्तिव, मान सम्मान, वैभव, जितना भी सर्व समाज में बच्चा है उसके मूल में विशमान है पांडित्य कर्म से जुड़े विद्वान ब्राहम्ण द्वारा घर घर कराये जा रहे पूजन, हवन, अनुष्ठान, पाठ, जाप तथा जगह जगह सुनाई जा रही भागवत्, राम कथायें एवं अनेकों पौराणिक कथाओं का श्रवण कराना तब हम क्यों न इन विद्वान पंडितों की चरण वन्दना करें इनका स्वागत सम्मान करें जिनहोने हमें ब्राहम्ण होने का फतवा दिया है बस इसी पुनीत विचार का आकार है यह पांडित्य कर्म विद्वान ब्राहम्ण सम्मान समारोड” आज समारोह की भाव्यता और दिव्यता देख यहाँ हर कोई कहने लगा कि हम महज किसी साधारण कार्यक्रम में नही अपितु हम एक महानुष्ठान की गोद में बैठे है जिसमें लगभग 300 पडित्यों के दिव्य दर्शनों के साथ साथ महान महा संतो महामण्डेलश्वरों के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।
तत्पश्चात संत वचन अंतर्गत महंत रूद्र चेतन्यपुरी बगीचा सरकार द्वारा ब्राहम्णों को अपने आचरण में शुद्धता लाते हुये सर्व समाज के कल्याण के भाव से समाज का मार्गदर्शन करना चाहिए संबंधित संदेश दिया तत्पश्चात संत बाई महाराज ने ब्राहम्ण होने पर गर्व करो पर अंहकार नहीं करने का जीवन मंत्र दिया, महामण्डलेश्वर पुरुषोतमदास जी ने अपने उद्द्योधन में कहा कि ब्राहम्ण सयकी मंगल कामनाओं को करते हुये एक रहे एकजुट रहे, शिवपुरी में कार्यरत 27 संगठनों पर चिन्ता व्यक्त करते हुये सभी संगठनों को विलोपित कर एक संगठन बनाने पर जोर दिया. तत्पश्चात महामण्डलेश्वर अनिरुद्धयन महाराज ने ब्राहम्णों का वेद वर्णित पांडित्य संस्कारी का वरण कर सर्व समाज को भी इन संस्कारों से सुसज्जित करनेजिला अध्यक्ष भरत शर्मा ने अपने उद्बोधन में कार्यक्रम की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुये कहा कि सर्व ब्राहम्ण समाज की सामान्यता है कि वर्तमान हालातो में भी ब्राहम्ण का अस्तिव, मान सम्मान, वैभव, जितना भी सर्व समाज में बच्चा है उसके मूल में विशमान है पांडित्य कर्म से जुड़े विद्वान ब्राहम्ण द्वारा घर घर कराये जा रहे पूजन, हवन, अनुष्ठान, पाठ, जाप तथा जगह जगह सुनाई जा रही भागवत्, राम कथायें एवं अनेकों पौराणिक कथाओं का श्रवण कराना तब हम क्यों न इन विद्वान पंडितों की चरण वन्दना करें इनका स्वागत सम्मान करें जिनहोने हमें ब्राहम्ण होने का फतवा दिया है बस इसी पुनीत विचार का आकार है यह पांडित्य कर्म विद्वान ब्राहम्ण सम्मान समारोड” आज समारोह की भाव्यता और दिव्यता देख यहाँ हर कोई कहने लगा कि हम महज किसी साधारण कार्यक्रम में नही अपितु हम एक महानुष्ठान की गोद में बैठे है जिसमें लगभग 300 पडित्यों के दिव्य दर्शनों के साथ साथ महान महा संतो महामण्डेलश्वरों के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।
तत्पश्चात संत वचन अंतर्गत महंत रूद्र चेतन्यपुरी बगीचा सरकार द्वारा ब्राहम्णों को अपने आचरण में शुद्धता लाते हुये सर्व समाज के कल्याण के भाव से समाज का मार्गदर्शन करना चाहिए संबंधित संदेश दिया तत्पश्चात संत बाई महाराज ने ब्राहम्ण होने पर गर्व करो पर अंहकार नहीं करने का जीवन मंत्र दिया, महामण्डलेश्वर पुरुषोतमदास जी ने अपने उद्द्योधन में कहा कि ब्राहम्ण सयकी मंगल कामनाओं को करते हुये एक रहे एकजुट रहे, शिवपुरी में कार्यरत 27 संगठनों पर चिन्ता व्यक्त करते हुये सभी संगठनों को विलोपित कर एक संगठन बनाने पर जोर दिया. तत्पश्चात महामण्डलेश्वर अनिरुद्धयन महाराज ने ब्राहम्णों का वेद वर्णित पांडित्य संस्कारी का वरण कर सर्व समाज को भी इन संस्कारों से सुसज्जितजिला अध्यक्ष भरत शर्मा ने अपने उद्बोधन में कार्यक्रम की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुये कहा कि सर्व ब्राहम्ण समाज की सामान्यता है कि वर्तमान हालातों में मी ब्राहम्ण का अस्तिव, मान सम्मान, वैभव, जितना भी सर्व समाज में बचा है उसके मूल में विहामान है पांडित्य कर्म से जुड़े विद्वान ब्राहम्ण द्वारा घर घर कराये जा रहे पूजन, हयन् अनुष्ठान, पाठ, जाप तथा जगह जगह सुनाई जा रही भागवत् राम कथायें एवं अनेकों पौराणिक कथाओं का श्रवण कराना तब हम क्यों न इन विद्वान पंडितों की चरण वन्दना करें इनका स्वागत सम्मान करें जिन्होंने हमें ब्राहम्ण होने का रूतचा दिया है बस इसी पुनीत विचार का आकार है यह पांडित्य कर्म विद्वान ब्राहम्ण सम्मान समारोड आज समारोह की भव्यता और दिव्यता देख यहीं हर कोई कहने लगा कि हम महज किसी साधारण कार्यक्रम में नहीं अपितु हम एक महानुष्ठान की गोद में बैठे है जिसमें लगभग 300 पंडिल्यों के दिव्य दर्शनों के साथ साथ महान महा सतो. महामण्डेलश्यरों के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।
तत्पश्चात संत वचन अंतर्गत महंत रूद्र चेतन्यपुरी बगीचा सरकार द्वारा ब्राहम्णों को अपने आचरण में शुद्धता लाते हुये सर्व समाज के कल्याण के भाव से समाज का मार्गदर्शन करना चाहिए संबंधित संदेश दिया तत्पश्चात संत बाई महाराज ने ब्राहम्ण होने पर गर्व करो पर अंहकार नहीं करने का जीवन मंत्र दिया, महामण्डलेश्वर पुरुषोतमदास जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि ब्राहम्ण सबकी मंगल कामनाओं को करते हुये एक रहे एकजुट रहे, शिवपुरी में कार्यरत 27 समदनी पर चिन्ता व्यक्त करते हुये सभी संगठनों को विलोपित कर एक संगठन बनाने पर जोर दिया, तत्पश्चात महामण्डलेश्वर अनिरुद्धबन महाराज ने ब्राहम्णों का वेद वर्णित पांडित्य संस्कारी का वरण कर सर्व समाज को भी इन संस्कारों से सुसज्जित करने की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए संदर्भित मंत्र देकर आशीवार्द दिया तो आचार्य गिरीश दुबे बांकडे ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में ब्राहम्णों को अपने कृतित्व और साधना की तलवार से समाज में झड़े जमा रही बुराईयों, कुरूतियाँ, व्यसनों का समूल नष्ट करने पर बल दिया तथा आचार्य जगदीश जैमिनी जी द्वारा पांडित्य कर्म की बारीकियों को समझाते हुये पांडित्य कर्म पूरे मनोयोग और सर्मपण भाय से कराये जाने पर बल दिया।
तत्पश्चात कर्मकाडी ब्राहम्णों का शाल, पट्टिका श्रीफल व स्मृति चिन्ह के साथ साथ दक्षिणा भेट सम्मानित किया इसको बाद श्री राजेन्द्र दुबे खजूरी ने आभार व्यक्त करते हुये निर्धारित ब्राहम्ण मोज में सम्मिलित होने का आग्रह किया गया अंत में कार्यक्रम की घोषणा रामजी ब्यास तथा डॉक्टर सुखदेव द्वारा अपने सारगर्भित उद्बोधन द्वारा की गई कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित धर्मन्द्र त्रिवेदी, भगवत शर्मा, संजय बेचैन, विफुल जैमिनी, गिर्राज शर्मा, अमरदीम शर्मा, केदार जैमिनी, रामजीलाल शर्मा, रामप्रकाश टौरिया, सतीश तिवारी, मोहन दांतरे, सुनील उपाध्याय द्वारिका पाराशर, रामस्वरूप नायक, मुकेश पाराशर, दिनेश भारद्वाज, बी. एम. शर्मा, अभिषेक शर्मा बट्टे, अरुण पंडित, रामहेत तिवारी, राजू पिपरधार अरविन्द सडईया विपिन पचौरी, हरगोविन्द शर्मा, भगवान स्वरूप पटसारिया अशोक ठेकेदार, पचन उपाध्याय, विवेक उपाध्याय, के. के. त्रिपाठी, कालीचरण शर्मा, हरिओम गौतम, अनिल शर्मा, महावीर उपाध्याय, मनोज अवस्ती एवं सैकड़ों सम्मानित ब्राहम्णों ने उपस्थिति दर्ज करायी। कार्यक्रम का सफलतम संचालन महेन्द्र उपाध्याय एवं मनिका शर्मा द्वारा किया