
अमर भक्त वही हो सकता है जो विनय सहित झुकना जानता है- भावलिंगी संत दिगम्बराचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज
सहारनपुर 02.08.12-“श्री भक्तामर स्तोत्र “इस भक्ति स्तोत्र में परम पूज्य आचार्य भगवन् श्री 108 मानतुंग स्वामी ने हमें अनेक शिक्षायें दी हैं, हमें भक्ति कैसे करना चाहिए, यह बतलाया है। सर्वप्रथम आचार्य भगवन् ने स्तोत्र में “भक्तामर” शब्द रखा है। जिसका अर्थ है भक्त + अमर । यहाँ आचार्य भगवन्त ने अमर शब्द देवों के…