
भगवान वीतरागी होते हैं, जो वीतरागी नहीं वह तो मेहमान है–भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज
खतौली में हो रही बीतराग धर्म की वर्षा ” “जीवन है पानी की बूंद” महाकाव्य जिनकी मूल रचना एवं महाकृति है। जो विशाल चतुर्विध संघ के कुशल संचालक एवं अधिनायक है अतएव “संघ शिरोमणि” हैं। जो निष्पृहता, अनासक्ति, स्वाभिमानी, आदि अनेक गुणों को धारण करने से “भावलिंगी संत” के रूप में लोक में विख्यात हैं।…