
सुख-शान्ति-समृद्धि के लिए भक्ति और दुकान के बीच संतुलन करना ही होगा – भावलिंगी संत दिगंबराचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज
भावलिंगी संत ने गुरुभक्ति का दिया अनुपम उदाहरण, स्वयं बोलकर करायी अपने गुरुवर आचार्यव श्री विरागसागर जी महामुनिराज का पूजन आत्मा जन्म-मरण से रहित अजर-अमर अविनाशी है किन्तु संसारी जीव अनादि से भरने का अभ्यासी है। जिनेन्द्र भगवान ने अमर होने का मार्ग बताया, विधि बतायी है। जिनेन्द्र भगवान के मार्ग का आश्रय करने से…