
असली गांधीवादी थे बिंदेश्वर पाठक
श्रृद्धांजलि राकेश अचल (achalrakesh1959@gmail.com) बिंदेश्वर दुबे को कभी लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करने का मौक़ा नहीं मिला। वे कभी संस्कार सीखने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखा में भी शायद नहीं गए ,लेकिन जो स्वच्छ भारत को लेकर जो सपना हमारे प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी ने पांच साल पहले देखा…