ग्वालियर। कृषि विज्ञान केंद्र ग्वालियर के प्रशिक्षण कक्ष में 44वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन ऑनलाईन एवं ऑफलाईन माध्यम से किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. एस.आर.के. सिंह, निदेशक, अटारी, जोन – 9, जबलपुर (ऑनलाईन माध्यम से), बैठक की अध्यक्षता कर रहे डॉ. वाय.पी. सिंह, निदेशक विस्तार सेवाएं, रा.वि.सिं.कृ.वि.वि., ग्वालियर एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. एस.एस. तोमर, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, ग्वालियर तथा श्री रणवीर जाटव, उपसंचालक (कृषि), किसान कल्याण तथा विकास विभाग, ग्वालियर भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में कृषि विभाग, कृषि अभियांत्रिकी, मत्स्यपालन, पशुपालन, आकाशवाणी, बीज प्रमाणीकरण, इफको एवं स्वयं सहायता समूह के अधिकारीगण, आत्मा से बी.टी.एम. तथा प्रगतिशील कृषकगण भी उपस्थित रहे। अंचल के विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्र जैसे मुरैना, दतिया एवं लहार से वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं वैज्ञानिक ऑनलाइन मोड़ से कार्यक्रम में जुड़े।
बैठक में खरीफ 2025 में आयोजित गतिविधियों एवं रबी 2025-26 हेतु प्रस्तावित कार्ययोजना के बारे में विस्तृत रूप से केंद्र की वैज्ञानिक, डॉ. अमिता शर्मा ने बैठक में समिति सदस्यों के सामने प्रस्तुतीकरण किया। प्रस्तुतीकरण के पश्चात कृषि से संबंधित विभिन्न विभागों के अधिकारियों से, एफ.पी.ओ., एस.एच.जी. एवं किसानों से उनके सुझाव भी आमंत्रित किए गए। बैठक की अध्यक्ष कर रहे डॉ. वाय.पी. सिंह., निदेशक विस्तार सेवायें, ग्वालियर ने सुझाव दिया कि बरसीम एवं तोरिया (सरसों) को अंतरवर्ती फसल के रूप में लेने हेतु कृषकों के प्रक्षेत्र पर प्रदर्शन लगाकर जागरूक किया जावे, साथ ही रासायनिक उर्वरकों का कम से कम उपयोग कर मृदा की उर्वरताशक्ति को बनाये रखे जाने हेतु तथा जिले में रासायनिक उर्वरक डी.ए.पी. की कमी को देखते हुए सुझाव दिया कि डी.ए.पी. के विकल्प के रूप में अन्य रासायनिक उर्वरक जैसेः एस.एस.पी. (सिंगल सुपर फॉस्पेट), एन.पी.के. (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश) के उपयोग हेतु कृषकों को जागरूक किया जाये।
बैठक में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. एस.एस. तोमर, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, ग्वालियर ने सुझाव दिया कि कृषकों के प्रक्षेत्र पर जलवायु अनुकूल परीक्षण एवं प्रदर्शन आयोजित किये जायें जिससे कृषकों को कम लागत में अधिक लाभ अर्जित हो सके। श्री रणवीर जाटव, उपसंचालक (कृषि), ग्वालियर ने सुझाव दिया कि जिले में गेंहूँ एवं धान की फसल कटाई उपरांत नरवाई में आग लगाने की बजाय उसको मृदा में जुताई कर मिलाया जाने हेतु कृषकों को जागरूक किया जावे जिससे मृदा की उर्वरताशक्ति में वृद्धि हो सके।
कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र के समस्त वरिष्ठ वैज्ञानिक/वैज्ञानिक/वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रश्मि बाजपेयी, वैज्ञानिक (उद्यानिकी) द्वारा किया गया एवं कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राजीव सिंह चौहान, वैज्ञानिक (कृषि प्रसार) द्वारा दिया गया।
कृषि विज्ञान केन्द्र, ग्वालियर में 44वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक संपन्न

