इंदौर- वर्तमान नवाचार्य आचार्य श्री समय सागर जी महाराज संसघ जबलपुर में विराजमान हैं। धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने कहा कल की आहार चर्या के दौरान मर्यादा इस तरह टूट गई कि आचार्य श्री समय सागर जी महाराज को अपनी अंजुली त्यागकर उपवास धारण करना पड़ा। यह स्थिति अत्यंत दुःखद और समाज एवं श्रावकों के लिए चिंतन का विषय है। दद्दू ने कहा कि जब आचार्य श्री जिस चोके में पड़गाहन हो रहा था, तब चोके वाले जिन श्रावकों ने पड़गाया, उनके साथ अनावश्यक रूप से दस-बीस अतिरिक्त लोग भी पडगाहन में जबरन घुस कर फेरी करने लगे। आचार्य श्री ने हाथ के संकेत से उन्हें रोकने का प्रयास भी किया, किन्तु भक्ति के उत्साह में कोई ध्यान ही नहीं दे रहा था कि आचार्य श्री क्या इशारा कर रहे हैं। सब अपनी-अपनी फेरी में लगे हुए थे। मर्यादा की इस अवहेलना को देखते हुए आचार्य श्री समय सागर जी ने अंजुली छोड़ दी और चौंके में प्रवेश किए बिना ही मंदिर वापस लौट आए। और उपवास कर लिया । आज आचार्य श्री ने अपनी मंगल देशना में समाज और श्रावकों को संबोधित करते हुए स्पष्ट कहा कि—
प्रत्येक चौंका अलग-अलग मर्यादा से संचालित होना चाहिए।
जिसका चौंका हो, उसी चौंके पर उसी समय मौजूद श्रावक ही फेरी लगाएं।
पड़गाहन होते ही लगभग 50 लोग चौंके में जाकर बैठ जाते हैं—यह अनुचित है।
यहां तक कि बाहरी व्यक्ति जिसका चोका भी नहीं है वो भी दुसरे के चोके में थाली लेकर ऐसे खड़े हो जाते हैं जैसे चौंका उनका ही हो—यह मर्यादा का सरासर गंभीर उल्लंघन है। जो चोके के बहार के उन 50 लोगों से बाहर निकलने का आग्रह किया जाता है, तो वे यह कहकर रुक जाते हैं कि वे “यहाँ के ही हैं।”और झूठ बोलने से भी नहीं कतराते हैं।
लेकिन ऐसे व्यवहार से शुद्धि में स्पष्ट दोष लगता है। दद्दू ने कहा कि श्रावक अपने मुख से शुद्धि बोलते मन-शुद्धि, वचन-शुद्धि, काय-शुद्धि की बातें तो करते हैं, परंतु व्यवहार में वचन और काय की शुद्धि का पूर्ण पालन नहीं कर पा रहे हैं। इससे साधु-संघ को अनावश्यक अंतराय होता है। आखिर साधु-संत कब तक ऐसी अव्यवस्था का सामना करते रहेंगे।
आचार्य श्री ने आज अपने उपवास के संदर्भ में इन बातों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। दद्दू ने समाज जन से आह्वान करते हुए कहा कि सभी श्रावक श्रेष्ठी जन इन मर्यादाओं का पालन करें, भक्ति के साथ अनुशासन को भी समान महत्व दें। और नमोस्तु शासन जयवंत हो को गौरवान्वित करें
मर्यादा का पालन हो समाज जन कब सुधरेंगे- राजेश जैन दद्दू

