बहुआयामी गुणों से सुरभित चुंबकीय व्यक्तित्व के धनी डॉ.जैनेंद्र जैन

संसार भर की गहमा-गहमी,भीडमभाड, भागमभाग,रेलमपेल में अगर कोई व्यक्ति समाज को समर्पित,असीम गुणों से सज्जित, सौभाग्य से दिखाई दे जाए तो निश्चित ही उसको नमन करने का मन हो ही जाता है।
किसी व्यक्ति की पूरी जिंदगी रूग्ण,असहायों की सेवा-सुश्रुषा और संत,साहित्य,कला लेखन, पत्रकारिता व समाजसेवा को समर्पित रही हो तो उसे खोजने में इस सवाल का जवाब 79 वर्षीय डा.जैनेंद्र जैन के रूप में सम्मुख आ जाता है।लोगों को एकजुट करने की दक्षता और उनके सेवाभावी कार्यों ने नगर एवं जैन समाज में उन्हें एक विशिष्ट पहचान दी है।किसी मरीज या जरूरतमंद व्यक्ति की समस्या के समाधान की बात सामने आती है तो लोग-बाग उनके छत्रपति नगर स्थित निवास का मार्ग दिखाने से गुरेज नहीं करते हैं। वे उसकी खास मुलाकात समाज के ऐसे सेवाभावी व्यक्ति से करा देते हैं जो उसकी मदद प्रसन्नता के वशीभूत होकर कर्तव्य निष्ठा और समर्पण भाव से कर सकें ।
लोगों के बनते-बिगड़े काम बनाने की प्रसिद्धि उन्हें एक चिकित्सक होने के नाते नहीं मिली बल्कि सामाजिक प्रक्षेत्र से जुड़े विभिन्न सेवाभावी ट्रस्टों में प्रदत्त सहयोग के कारण मिली है। उनके पास कई लोग ऐसे आते रहते हैं जो अपना इलाज नहीं करा पाते अथवा रुग्णता के चलते आई नाणा तंगी से कई परिवारों के प्रतिभावान बच्चों के पास शिक्षा प्राप्ति के लिए विद्यालय का शुल्क चुकाने की राशि भी नहीं होती तब श्री मूलचंद जैन पारमार्थिक ट्रस्ट के ट्रस्टी रहते हुए उन्होंने ट्रस्ट के माध्यम से अनेको जरूरतमंद लोगों को शिक्षा एवं चिकित्सा सहायता हेतु सहयोग प्रदान करवाया ।यह क्रम निरंतर आज भी बदस्तूर जारी है।इसके अलावा समाज की प्रतिभावान शख्सियतों को उजागर कर उन्हें पहचान दिलाने में भी उनकी अहम भूमिका रही है।उन्हें मंच देने के लिए वे यत्र- तत्र-सर्वत्र विभिन्न आयोजन भी करते रहते हैं। आदिनाथ दिगंबर जैन धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट छत्रपति नगर के संस्थापक ट्रस्टी होने के साथ ही वे मंत्री और अध्यक्ष पद पर भी आसीन रहे।इस समयावधि में आदिनाथ जिनालय के निर्माण में उनकी अहम भूमिका को समाज स्मरणित करता रहता है।उनके अध्यक्ष रहने के दौरान मंदिर परिसर में ऋषभ सभागृह का निर्माण समाज का सहयोग लेकर उन्होंने करवाया।

दिगंबर जैन परवार,समाज में सम्मान की परंपरा प्रारंभ करने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। परवार समाज में सम्मान परंपरा के प्रारंभ के शिल्पी उन्हें कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। सर्वप्रथम उन्होंने ही समाज के दो दिग्गज दिगंबर जैन परवार सभा के संस्थापक अध्यक्ष एवं अंजनी नगर में समाज सहयोग से चंद्र प्रभु मांगलिक भवन के निर्माण में अपना बाहुबल लगाने वाले वरिष्ठ समाजसेवी श्री सोनेलाल जैन एवं दिगंबर जैन समाज के उदार हृदय दानवीर एवं संवेदनशील वरिष्ठ समाजसेवी श्री सुंदरलाल जैन बीड़ीवालों का अमृत महोत्सव आयोजित कर उनका अभिनंदन समारोह आयोजित किया जिसमें केंद्रीय और प्रादेशिक मंत्रियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।उन्होंने सम्मानित होने वाले व्यक्ति को अभिनंदन पत्र और अभिनंदन स्मारिका हस्त-कमल में भेंट कर शुरूआत की। डॉक्टर साहब के द्वारा किए गए रचनात्मक सद्कार्यों के लिए उन्हें पर्युषण पर्व-2022 की समयावधि में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।इसके अलावा विभिन्न समाचार पत्रों में संपादक के नाम पत्र लिखने वाले पत्र लेखकों को संगठित कर पत्र लेखक संघ मध्यप्रदेश की स्थापना की, जिसके वह अध्यक्ष भी हैं और एक अच्छे पत्र लेखक भी हैं । उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में पत्र लेखकों के कई सम्मेलन हुए जिसमे विशिष्ट झेड प्लस सुरक्षा प्राप्त पत्रकार अरुण शौरी, कन्हैयालाल नंदन,कुलदीप नैयर,अरुण गांधी,जनार्दन ठाकुर,डॉ.कैलाश नारद, राजेंद्र माथुर यतींद्र भटनागर,कृष्णकुमार अष्ठाना, कालिका प्रसाद दीक्षित कुसुमाकर आदि पत्रकारों ने अतिथि के रूप में सम्मिलित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
सम्मेलन में संघ के महू, देवास,भोपाल, इंदौर, उज्जैन,ग्वालियर,जावरा, बागली,बडवाह,महिदपुर आदि शहरों केअनेकों पत्र लेखक सम्मिलित होते थे। इस आलेख का लेखक स्वयं पत्र लेखक संघ संस्था का कई वर्षों तक प्रथम उपाध्यक्ष रहा एवं जाकिर अली मरहूम संघ के संरक्षक एवं प्रवीण चौधरी एडवोकेट बागली मंत्री हुआ करते थे।
डॉ.जैनेंद्र जैन : संत‑समाज‑संस्कृति के आधुनिक प्रहरी और अनुभवी पत्रकार के रूप में सुस्थापित हैं।
डॉ.जैनेंद्र जैन ने पिछले 25 वर्षों से श्रमण संस्कृति के महामहिम आचार्य श्री विद्यासागर जी एवं आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के अनन्य भक्त डॉक्टर जैन धार्मिक‑सामाजिक कार्यों तक ही सीमित नहीं है,बल्कि उन्होंने स्वतंत्र पत्रकारिता के क्षेत्र में भी 30‑35 वर्षों का लंबा अनुभव अर्जित किया है। 250 से अधिक संपादकों के नाम उनके लिखे पत्र प्रकाशित हुए हैं और इंदौर आकाशवाणी से दर्जनों रेडियो वार्ताएँ भी प्रसारित हो चुकी हैं।
मुख्य बिंदु-
– जैन तीर्थों का संरक्षण–गिरनार तीर्थ के नाम‑परिवर्तन का विरोध।
– समाज सेवा–दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के मंत्री तथा छत्रपति नगर दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष (वर्तमान में कार्य‑अध्यक्ष) के रूप में सामाजिक सहयोग एवं निर्माण कार्यों का नेतृत्व।
– लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवार्ड–विभिन्न मंचों से सम्मानित।
– देश में सर्वप्रथम आचार्य श्री विद्यासागर जी को भारत रत्न अलंकरण प्रदान किए जाने की मांग की एवं इस संबंध में राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखें एवं समाचार पत्रों के माध्यम से भी आवाज उठाई। यहां यह लिखना अतिशयोक्ति पूर्ण नहीं होगा कि डॉ जैनेंद्र जैन का, जीवन प्रसंग पत्रकारिता की गहरी दृष्टि और सामाजिक सांस्कृतिक योगदान एक साथ मिलकर उन्हें एक अनूठा व्यक्तित्व बनाते हैं

जो शुरुआत में लिखा जाना था वह अब अंत में,उनके स्वयं के बारे में

उनका जन्म स्थान बीना जिला सागर ,जन्मतिथि 26 नवंबर 1947, वर्ष 48 से इंदौर में एवं सन 1965 से क्वालिफाइड होम्योपैथिक चिकित्सक एवं 35 वर्षों तक जूनी इंदौर में क्लीनिक खोलकर चिकित्सक के रूप में कार्य किया।सोशल मीडिया पत्रकार एवं संपादक के रूप में सक्रिय। 35 वर्षों तक हास्य व्यंग बुलेटिन जैन टाइम्स का प्रकाशन एवं संपादन किया।वर्तमान में सनमती वाणी मासिक पत्रिका में सहयोगी संपादक।

   

 

चित्र विवरण- उपराष्ट्रपति डॉ.शंकरदयाल शर्मा से इंदौर जिला अस्पताल के उद्घाटन अवसर पर स्वास्थ्य संबंधी स्मारिका का विमोचन कराते हुए,राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह से एयरपोर्ट पर सौजन्य भेंट कर उन्हें संघ की स्मारिका अभिव्यक्ति भेंट करते व चर्चा करते,फिल्म स्टार अनुपम खेर का स्वागत करते,पूर्व प्रधानमंत्री श्री चंद्रशेखर से साक्षात्कार करते,केंद्रीय मंत्री प्रदीप आदित्य से इंदौर प्रवास पर उनसे चर्चा करते,प्रख्यात पत्रकार एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री अरुण शौरी से पत्र लेखक संघ के कार्यक्रम में स्मारिका का विमोचन कराते हुए संपादक व अध्यक्ष डॉ.जैनेंद्र जैन।देश-विदेश के सुप्रसिद्ध हास्य कवि काका हाथरसी ने अपने कहाथ से एक पुस्तक भेंट देते हुए उस पर लिखा था- जैनेंद्र जैन,वंडरफुल मैन,सादर सप्रेम भेंट काका हाथरसी,1-12-99

 

Please follow and like us:
Pin Share