इंदौर-22 अक्टूबर 2025 नव वर्ष प्रारंभ सभी को शुभकामनाएं
अजमेर जिले के बड़ली गाँव से मिला शिलालेख वीर निर्वाण संवत के प्रमाण के साथ सबसे प्राचीन ब्राह्मी शिलालेखों में से एक है। पुरातत्ववेत्ता डॉ. गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने 1912 में इसकी खोज की थी, और इसमें 84 वीर संवत लिखा है, जिसका अर्थ है कि यह शिलालेख भगवान महावीर के निर्वाण के 84 वर्ष बाद (ईसा से 443 वर्ष पूर्व) अंकित किया गया था। यह शिलालेख फिलहाल अजमेर के राजपूताना संग्रहालय में संग्रहित है।
भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में समय की गणना केवल वर्षों या तिथियों से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक घटनाओं और महापुरुषों के जीवन संदेशों से जुड़ी रही है। ऐसी ही एक अद्वितीय और प्राचीन परंपरा है — “वीर निर्वाण संवत”, जो भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण कल्याणक दिवस से प्रारंभ होती है।
महावीर स्वामी — अहिंसा और आत्मशुद्धि के प्रतीक
भगवान महावीर स्वामी, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, ने संसार को अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य और अस्तेय जैसे जीवन के शाश्वत सिद्धांतों की शिक्षा दी। उनका जीवन मानवता के लिए प्रकाशस्तंभ बन गया, जिसने यह सिखाया कि मोक्ष का मार्ग बाहर नहीं, बल्कि भीतर की आत्मा में छिपा है।
निर्वाण दिवस — आत्मा की परम शांति का पर्व
भगवान महावीर स्वामी को दीपावली की रात्रि में पावापुरी (बिहार) में निर्वाण प्राप्त हुआ था। इसी दिव्य घटना के उपलक्ष्य में जैन समाज और भारतवासी दीपों का पर्व मनाते हैं — जिससे यह संदेश मिलता है कि जब एक ज्योति (महावीर) आत्मा में विलीन होती है, तो अनंत आत्माएँ ज्ञान-प्रकाश से आलोकित होती हैं।
22 अक्टूबर 2025 — 2552वाँ वीर निर्वाण संवत प्रारंभ
इस वर्ष 22 अक्टूबर 2025 से भारत का प्राचीन पंचांग एक नया अध्याय प्रारंभ कर रहा है — 2552वाँ वीर निर्वाण संवत।
यह संवत हमें केवल कालगणना नहीं सिखाता, बल्कि संयम, सत्य और करुणा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
संदेश और महत्त्व
यह संवत भारत की सबसे प्राचीन कालगणना प्रणालियों में से एक है, जो साढ़े ढाई सहस्राब्दी से अधिक पुराना है।
यह हमें याद दिलाता है कि भारत का इतिहास केवल राजाओं और युद्धों का नहीं, बल्कि धर्म, दर्शन और आत्मोद्धार की गौरवशाली यात्रा का भी इतिहास है।
वीर निर्वाण संवत हमें हर वर्ष यह स्मरण कराता है कि सच्चा प्रकाश बाहरी दीपों से नहीं, भीतर के आत्मदीप से प्रस्फुटित होता है।
निष्कर्ष
जब हम 2552वें वीर निर्वाण संवत का स्वागत करें, तो संकल्प लें कि —
> “हम अपने जीवन में भगवान महावीर के सिद्धांतों को उतारें,
हर जीव में आत्मा देखें, और हर क्षण में करुणा जगाएँ।”
अभिनंदन हो — 2552 वीर निर्वाण संवत का!
जय महावीर!
मयंक जैन
विश्व जैन संगठन
राष्ट्रीय जिनशासन एकता संघ
भारतवर्षीय तीर्थ संरक्षणी महासभा
श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर विद्या पैलेस इंदौर