सरकारी सिस्टम से व्यथित होकर दिगंबर जैन मुनि पावन सागर महाराज 3 सितंबर से सचिवालय के बाहर करेंगे आमरण अनशन

जयपुर – 25 अगस्त-सभी धर्मों के साधु संतों का सम्मान करने का दम भरने वाली तथा राजस्थान में सनातनी सरकार होने के बावजूद भी संसार में सबसे ज्यादा त्याग तपस्या करने के लिए प्रसिद्ध एक दिगम्बर जैन संत को जैन धर्म, संस्कृति एवं पुरातत्व तथा जिनायतनों की रक्षा एवं ग्राम वासियों को उनका हक दिलाने, जैन मंदिरों का जीर्णोद्धार कार्य करवाने के लिए की गई मांग पर अब तक कार्यवाही नहीं किये जाने के क्रम में सरकारी सिस्टम से व्यथित होकर आगामी 3 सितम्बर से आमरण अनशन करने जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसे दिगम्बर जैन संत मुनि पावन सागर महाराज जिनका वर्तमान में जयपुर के गायत्री नगर के महारानी फार्म स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर में वर्षायोग चल रहा है।
यह कदम मुनि पावन सागर महाराज अकेले नहीं बल्कि उनके ही संघ में दूसरे मुनिराज सुभद्र सागर तथा बडी संख्या में जैन बंधुओं को भी उठाना पड रहा है।
श्री दिगम्बर जैन मंदिर महारानी फार्म प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष कैलाश चन्द छाबड़ा एवं मंत्री राजेश बोहरा ने सोमवार को संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए बताया कि भारत देश की स्वतंत्रता के 78 साल बाद भी बेहरोज के सभी धर्मों के ग्रामवासियों को उनकी जमीन का हक आज तक भी नहीं मिला है। वहीं दूसरी ओर बेहरोज में स्थित जैन मंदिरों के जीर्णोद्धार कार्य करवाने की अनुमति भी प्रशासन ने आज तक भी नही दी है।
उन्होंने प्रकरण की जानकारी देते हुए विस्तार से बताया कि अरावली पर्वत श्रृंखलाओं की तलहटी में अवस्थित प्राकृतिक सौंदर्य से संपन्न चारों ओर पहाड़ों से घिरा हुआ हजारों वर्षों से स्थित गांव बहरोज तहसील मुंडावर जिला खैरथल अलवर में स्थित है गांव वालों एवं जैन समाज के लोगों को आज तक स्वतंत्रता के 78 वर्ष बाद भी उनको उनकी जमीन का हक नहीं मिल पाया है। गांव वालों ने कई बार प्रयास किया। प्रशासन से, मंत्रियों से संपर्क किया कि उनको उनका हक दिलाया जाए लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। मजबूर होकर दिगंबर जैन मुनि पावन सागर महाराज को आमरण अनशन करने की घोषणा करनी पड़ी।
उल्लेखनीय है कि ग्राम बेहरोज में जैन आबादी होने, उनके मकान, जमीन, जैन धर्मायतन आदि वर्षो पूर्व से होने के प्रमाण ग्राम वासियों एवं जैन समाज द्वारा प्रशासन को उपलब्ध करवाए जा चुके हैं।
श्री छाबड़ा बताते हैं कि किसी समय इस गांव में 900 घर की जैन समाज थी। मुगलों के समय एक ही दिन में पलायन करके सारे जैन वहां से चले गए। उनके वह स्थान और मंदिर आज भी जीर्ण – शीर्ण अवस्था में पड़े हुए हैं। उनके मकान पहाड़ की तलहटी पर थे। उन मकानों पर मुगलों ने कब्जा कर लिया। सन 1947 में भारत आजाद हुआ, उस समय सभी मुसलमान भी बेहरोज छोड़कर पाकिस्तान चले गए लेकिन जैन समाज के लोगों की धरोहर आज भी वही की वही पड़ी हुई है। सारे मंदिरों व मकान के खंडहर भी वहां पड़े हुए हैं। जैन समाज ने उन मंदिरों का जीर्णोद्धार करने के लिए प्रशासन से अनुमति भी मांगी थी लेकिन प्रशासन ने मना कर दिया। क्योंकि पूरा गांव और खंडहर की जगह राजस्व जमीन के अंतर्गत आता है। इसलिए हमें वहा मंदिरों का जीर्णोद्धार करने से मना कर दिया। वन विभाग वाले भी वहां पर काम नहीं करने देते। जैन समाज एवं गांव वालों के साथ पिछले 12 साल से लगातार दिगम्बर जैन मुनि पावन सागर महाराज उनका हक दिलाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। उनके हको की लड़ाई लड़ रहे हैं।
बेहरोज गांव की पूरी जमीन का क्षेत्रफल 70.5 बीघा है। वह जमीन ”शामलात देह” (गांव की जमीन) संवत 1999 (ईस्वी सन 1942) में “गैर मुमकिन आबादी” लिखी है लेकिन सर्वे संवत 2029 (ईस्वी सन 1972) में “गैर मुमकिन आबादी” की जगह को “गैर मुमकिन पहाड़” बना दिया और सन 2012 के बाद जमीन को “गैर मुमकिन बेहड” बना दिया। इसके अतिरिक्त गांव की जमीन है वह कस्टोडियन के अंतर्गत है। सरकार को पूरी लिस्ट और नक्शे सहित पूरे कागजात दे दिए है। यदि कस्टोडियन जमीन को वन विभाग को दिया जाता है जा सकता है तो नया खसरा नंबर 2117 की जमीन 70.5 बीघा जो कस्टोडियन के अंतर्गत आती है उस जमीन को राज्य सरकार द्वारा गांव वालों एवं जैन समाज को भी दी जा सकती है। जबकि उक्त खसरा नंबर में जैन समाज के कुछ प्राचीन मंदिरों के अवशेष है जिनमें एक मंदिर में जैन तीर्थंकर की प्रतिमाएं सुशोभित है। वह जमीन राजस्व के अन्तर्गत होते हुए भी वहां पर वन विभाग वाले काम नहीं करने देते हैं।
बेहरोज वाले और जैन समाज के लोग सरकार से यह मांग करते हैं कि गांव के लोग जिन घरों में रह रहे हैं, उनका पटटा उनको वितरित किया जाए। जैन समाज के पूर्वजों की पहाड़ की तलहटी में मंदिर और मकानों के खंडहर अवशेष है और राजस्व की जमीन है इसलिए उन मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए स्वीकृति, पहाड़ पर मंदिरों का जीर्णोद्धार, पहाड़ पर मंदिरों का दर्शन करने के लिए रास्ता एवं मंदिरों में लोगों के अतिक्रमण हो रहे हैं उनको मुक्त कराया जाए। जैन मंदिरों को श्री पार्श्वोदय तीर्थ ट्रस्ट बेहरोज को सौपने एवं उनका जीर्णोद्धार करवाने, धर्मशाला, यात्री निवास बनवाने सहित परोपकार के कार्य करने की अनुमति प्रदान की जाए।
मंदिर समिति के उपाध्यक्ष अरुण शाह ने बताया कि इसके लिए समाज की ओर से माननीय प्रधानमंत्री, माननीय वन मंत्री, भारत सरकार, माननीय मुख्यमंत्री राजस्थान, माननीय राजस्व मंत्री राजस्थान, माननीय वन मंत्री राजस्थान, पुलिस महानिदेशक राजस्थान , पुलिस कमिश्नर जयपुर , अतिरिक्त मुख्य सचिव वन विभाग शासन सचिवालय जयपुर, प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन विभाग, जयपुर, डीएफओ अलवर, कलेक्टर खैरथल- तिजारा और पुलिस थाना ततारपुर को भी का लिखा जा चुका है*। समाज के सभी मंदिरों के पदाधिकारी और जैन बधु सरकार को चेतावनी देते हैं कि बेहरोज के परिवारों और जैन समाज को उनकी जमीनों का हक तुरंत दिलाया जाए इसके लिए
*दिनांक 31 जुलाई, 2025 को पत्र लिख कर
सरकार को दिनांक 2 सितंबर2025 तक कार्रवाई कर लिखित में सूचित करने हेतु निवेदन किया गया है। यदि 2 सितम्बर, 2025 तक प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो उसके पश्चात 3 सितंबर 2025 से मुनि पावन सागर जी महाराज पूरे जैन समाज के बंधुओं के साथ सचिवालय के सामने आमरण अनशन पर बैठेंगे।
राजस्थान जैन युवा महासभा जयपुर के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि आमरण अनशन के लिए दिनांक 3 सितंबर 2025 को दोपहर 2:15 बजे श्री दिगम्बर जैन मंदिर गायत्री नगर महारानी फार्म दुर्गापुरा से सचिवालय के लिए मंगल विहार और पद विहार होगा।
संवाददाता सम्मेलन के मौके पर मंदिर समिति अध्यक्ष कैलाश छाबड़ा, उपाध्यक्ष अरुण शाह, मंत्री राजेश बोहरा, सदस्य संतोष रावकां, अशोक जैन के साथ राजस्थान जैन सभा जयपुर के उपाध्यक्ष विनोद जैन कोटखावदा, अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन युवा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री उदयभान जैन, दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप सन्मति के संस्थापक अध्यक्ष राकेश गोदीका, दिनेश पाटनी, सुरेन्द्र जैन सहित बड़ी संख्या में जैन बन्धु उपस्थित थे।

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