राष्ट्र‌योगी, राष्ट्र‌गौरव भावलिंगी संत दिगम्बराचार्य श्री विमर्शसागर जी महामु‌निराज का सहारनपुर में हो रहा है 30 पिछियो के साथ 30 वां चातुर्मास

संत समागम सहज सामान्य पुण्य से प्राप्त नहीं होता, संतों का समागम जन्मों-जन्मों के असीम पुण्यों से प्राप्त होता है। एक ही नहीं सैकड़ों-हजारों-लाखों प्राणियों का एक साथ असीम पुण्यों का उदय होता है, समस्त नगरवासियों का पुण्य एकत्रित होकर उदय में आता है तब कहीं संत समागम प्राप्त हो पाता है।
सहारनपुर नगर का महान पुण्य जागृत हुआ है जो एक, दो नहीं पूरे 30 पीछी धारी दिगम्बर मुनिराज, आर्थिका, श्रावक, श्राविका रूप चतुर्विध संघ के साथ परम पूज्य “जीवन है पानी की बूंदै “महाकाव्य के मूल रचयिता संघ शिरोमणि भावलिंगी संत दिगम्बराचार्य श्री 108 विमूर्शसागर जी महामु‌निराज का वर्षाकाल के चार माह की दिगम्बर चर्या को पालन करने हेतु तथा सभी नगरवासियों को सुखी जीवन के दिव्य सूत्रों को प्रदान करने के लिए मंगलमय न्चातुर्मास प्राप्त हुआ ।
परम पूज्य भावलिंगी संत आचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज मात्र जैन समाजही नहीं अपितु समस्त सम्प्रदायों के साथ सम्पूर्ण देशवासियों के लिए एक प्रेरक और आदर्श संत के रूप में इस भारतीय वसुन्धरा पर अपनी कठिन तप-साधना में संलग्न रहा करते हैं।
वर्ष २०५५ से ही सहारनपुर जैन समाज पूज्य आन्चार्य श्री के न्चरणों इस वर्ष के मंगलमय न्चातुर्मास हेतु निवेदन लगातार कर रही थी। 31 मई को सहारनपुर का परम सौभाग्य जागा, जो अतिशय क्षेत्र बड़ागांव में विभिन्न नगरों से आए भक्तों के मध्य सहारनपुर जैन समाज को पूज्यश्री का 2025 का न्चातुर्मास कराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । 02 जून को बड़ागांव से चात्‌र्माम सहारनपुर हेतु गुरुदेव की पद‌यात्रा प्रारंभ हुयी। रास्ते में विभिन्न नगर-शहरों में जिनागम पंथ की पताका फहराते हुये 28 जून को आन्चार्यश्री ने नगर की सीमा सहारनपुर के ‘आवास-विकास में प्रवेश किया एवं 29 जून को चन्द्रनगर की धरा को पवित्र करते हुए 30 जून जल की मध्याहन बेला में जैन बाग में समस्त जैन सहारनपुर ने आन्चार्य संघ का ऐतिहासिक मंगल प्रवेश कराया।
03 जुलाई से 10 जुलाई तक रही सिद्ध भगवन्तों की आराधना
जैन धर्म में जिनेन्द्र भगवान की भक्ति का भी अद्‌भुत माहात्म्य बतलाया है। सिद्धों की आराधना से हमारे जीवन से सभी प्रकार के दुःख कष्ट-बाधायें दूर भागती नजर आती है। आचार्य श्री विमर्श सागर जी मुनिराज (ससंघ) के सानिध्य एवं आशीर्वाद से एवं विधानाचार्य शुभम जी शास्त्री। एवं केशव एण्ड पार्टी की मधुर लहरियों के साथ जिन आराधना का सातिशय पुण्य अर्जन समस्त जैन समाज ने प्राप्त किया।
०५ जुलाई को आन्यार्य श्री ने अपने गुरुवर आचार्य गुरुवर श्री विराग सागर जी महामु‌निराज को ” समाधि सम्राट चक्रवर्ती की मांगलिक भाव विनयांजलि समर्पित की। यह गुरुदेव का प्रथम समाधि महोत्सव दिवस का प्रसंग था।
10 जुलाई, गुरु पूर्णिमा के अविस्मरणीय पल सहारनपुर के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखे जायेंगे ! सहारनपुर धर्मनगरी में पूज्य आचार्य ने प्रथम बार पदार्पण किया है। आचार्य संघ के आगमन से सम्पूर्ण नगर में अभूतपूर्व खुशहाली का वातावरण बना हुआ है। 10 जुलाई को सम्पूर्ण आचार्य संघ निर्जल उपवास के साथ वर्ष 2025 के मंगलमय चातुर्मास हेतु मंगल कलश स्थापना करेंगे। प्रातः काल 10 बजे से ही कार्यक्रम बृहद् स्तर से प्रारंभ होगा गुरु पूर्णिमा के महापर्व पर आचार्य भगवन् की सम्पूर्ण संघ एवं देशभर से आगन्तुक हजारों की संख्या में भक्त समूह परिपूर्ण हर्ष-उत्साह के साथ महापूजा करेंगे। पश्चात होगी मंगल कलश स्थापना करने वाले महापात्रों का चयन ।
आगामी चातुर्माम काल में भी जैन समाज के साथ समस्त नगर वासी आन्चार्य श्री एवं समस्त संघ की चर्चा एवं मंगलमय वाणी से लाभान्वित होते रहेंगे !

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