जनहित” में जैन समाज के लिए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के विचाराधीन ओर तत्वरित कार्यवाही हेतु
राजेश जैन दद्दू
इंदौर
“जैन धर्म” के लिए सरकारी दस्तावेजों, फॉर्म्स व जनगणना में स्वतंत्र कॉलम की तत्काल माँग। जिन शासन एकता संघ एवं विश्व जैन संगठन के प्रचारक राजेश जैन दद्दू एवं अध्यक्ष मंयक जैन केन्द्र सरकार से मांग करते है कि जैन समाज के लिए यह सुविधा अविलंब प्राप्त हो।
भारत सरकार द्वारा दिनांक 27 जनवरी 2014 को आदेश संख्या F.No. 1/11/2014-MC (Pt.) के माध्यम से जैन धर्म को भारत में अल्पसंख्यक धर्म के रूप में मान्यता प्रदान की गई थी। यह आदेश भारत के संविधान में वर्णित धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के अनुरूप था।
किन्तु 10 वर्षों के उपरांत भी आज तक केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए किसी भी फॉर्म, प्रमाण पत्र, सरकारी योजना, शैक्षणिक प्रवेश, नौकरी आवेदन या जनगणना दस्तावेज में “जैन धर्म” के लिए कोई स्वतंत्र कॉलम उपलब्ध नहीं है। दद्दू ने कहा कि हमें आज भी “हिंदू” कॉलम का चयन करने को कहा जाता है और “Other (Please specify)” में “Jain” लिखने की सलाह दी जाती है।
यह न केवल हमारी धार्मिक पहचान का अपमान है, बल्कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 से 30 तक के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है, जो प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म की स्वतंत्र अभिव्यक्ति और प्रशासन का अधिकार देता है। राजेश जैन दद्दू ने कहा कि जैन धर्म कोई शाखा, संप्रदाय या उपधर्म नहीं है।
यह एक स्वतंत्र, प्राचीन और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समृद्ध धर्म है, जिसकी जड़ें हजारों वर्षों पुरानी हैं, और जो भगवान महावीर के सिद्धांतों – अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय और ब्रह्मचर्य – पर आधारित है।
भारत सरकार यदि अन्य अल्पसंख्यक धर्मों के लिए हर दस्तावेज में स्वतंत्र कॉलम उपलब्ध करा सकती है, तो जैन समाज को इससे वंचित क्यों रखा जा रहा है?हमारी माँगें:
1. केंद्र सरकार तत्काल अधिसूचना जारी करे, जिसमें यह स्पष्ट हो कि सभी शासकीय फॉर्म्स, पोर्टल्स, दस्तावेज़ों, प्रमाणपत्रों, शैक्षणिक और रोजगार फॉर्मेट्स में “जैन धर्म” का एक स्वतंत्र कॉलम अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए।
2. यह निर्देश सभी राज्य सरकारों, शैक्षणिक बोर्डों, भर्ती एजेंसियों और सरकारी विभागों तक भेजा जाए ताकि जब भी कोई नया फॉर्मेट या पोर्टल डिज़ाइन हो, उसमें “जैन” को विकल्प के रूप में सूचीबद्ध किया जाए।
3. आगामी जनगणना 2025 में “जैन” धर्म के लिए स्पष्ट, स्वतंत्र कॉलम की व्यवस्था की जाए ताकि जैन समाज की वास्तविक जनसंख्या और उपस्थिति दर्ज हो सके। CensusIndia के प्लेटफॉर्म और मैटेरियल में इसका समावेश अनिवार्य किया जाए।
4. भविष्य में जो भी सरकारी सॉफ्टवेयर या ऐप्लिकेशन नागरिक जानकारी लेने हेतु डिज़ाइन किए जाएं, उसमें “Religion” विकल्प में “Jain” धर्म स्वतः सूचीबद्ध हो।
यह मांग केवल एक समाज की पहचान नहीं, बल्कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में हर नागरिक के आत्म-सम्मान और संवैधानिक अधिकारों का मामला है।
जैन समाज अहिंसक शांतिप्रिय है, मगर अपनी पहचान के लिए मौन नहीं रह सकता।
हम मानते हैं कि यह मुद्दा किसी भी तरह के टकराव या मतभेद का नहीं, बल्कि संवैधानिक और प्रशासनिक सुधार का है।
केन्द्र सरकार से निवेदन नहीं, यह हमारा संवैधानिक अधिकार है — कृपया तत्काल संज्ञान लें और कार्यवाही करे