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आचार्य श्री विरागसागर जी महामुनिराज की 63 वीं जन्मजयन्ती ‘अवसर पर किया गया 36 मण्डलीय” आचार्य विराग सागर विधान

यमुना विहार दिल्ली, शुद्धोपयोगी संत २ सूरिगच्छाचार्य श्री 108 विरागसागर जी महामुनिराज का 63 वाँ जन्म जयन्ती दिवस भारत वर्ष में 02 मई 2025 को हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। राजधानी दिल्ली के यमुनाविहार में विराजमान भावलिंगी संत श्रमनामचार्य श्री 108 विमर्शसागर जी महामुनिराज ससंघ (37 पीछी) सानिध्य में आचार्य प्रवर श्री विरागसागर जी महामुनिराज का 63 वाँ जन्म जयन्ती महोत्सव उत्सव-महोत्सव पूर्वक सम्पन्न किया गया ०२ मई की प्रातः बेला में जिनाभिषेक – पूजन के पश्चात् 36 मण्डलीय “आचार्य विरागसागर विधान” महापूजा का अनुष्ठान किया गया । अनुष्ठान की विशेषता यह रही कि आयोजित हुआ “आचार्य विरागसागर विधान ” स्वयं आचार्य श्री विमर्श साजर जी मुनिराज द्वारा लिखा गया है और आयोजन में आचार्य श्री के ही मुखारविन्द से सम्पन्न किया गया । आचार्य श्री ने गुरुवर की जन्म जयन्ती पर विनयां-जलि समर्पित करते हुए कहा – महापुरुषों का जन्म धरा पर अपने कल्याण के साथ-साथ प्राणी मात्र के कल्याण के लिए हुआ करता है। परमपूज्य आचार्य श्री विरागसागर जी गुरुदेव ने 2 मई 1963 को पथरिया ग्राम में अन्म लेकर, संस्कारों के साथ बड़े होते हुए मोक्षमार्ग पर अपने कदम बढ़ा दिये और आत्मकल्याण के साथ शरण में आये सैकड़ों-हजारों भव्यात्माओं को कल्याण के मार्ग पर आगे बदाया। गुरुवर ने जन्म लेकर स्वयं को निर्वाण के अत्यंत समीप कर लिया है अतिशीघ्र गुरुवर परम-चरम लक्ष्य निर्वाण को प्राप्त करेंगे

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