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श्री गंगादासजी की बड़ी शाला में पूरी रात सजी सुर साज की महफिल, 30 से अधिक कलाकारों ने दी प्रस्तुतियां

ग्वालियर। शहर के प्रतिष्ठित ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला एक बार फिर अपने पुराने सांस्कृतिक दौर में लौटने को आतुर दिखी। शहर की प्रतिष्ठित संस्था रागायन द्वारा शाला परिसर में पूरी रात के लिए सजी सुर साज की महफिल में ग्वालियर ओर बाहर से आए कलाकारों ने एक से बढकर एक प्रस्तुतियां दी। राग यमन से शुरू हुई यह सभा राग भैरव के सुरों से संपन्न हुई।

बताना मुनासिब होगा कि रागायन के संस्थापक ग्वालियर घराने के मूर्धन्य संगीत साधक पंडित सीतारामशरण जी महाराज ने सालों पहले 1990 में रागायन की स्थापना के साथ पूरी रात की संगीत सभा आयोजित करने की पहल की थी। यह परंपरा तब से जारी है ,यह ओर बात है कि अब इसका स्वरूप थोड़ा सीमित हो गया था। लेकिन रागायन बीके वर्तमान अध्यक्ष स्वामी रामसेवकदास जी ने इस परंपरा को शुरू करने की पहल की है। 19अप्रैल की रात सजी सुर साज की सभा इसी सिलसिले की एक कड़ी थी।

रागायन का कार्य अनुकरणीय: इंदापुरकर

कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर एवं गुरु पूजन कर किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मध्य क्षेत्र के क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य श्री यशवंत इंदापुरकर उपस्थित थे। जबकि अध्यक्षता रागायन के अध्यक्ष एवं सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला के महंत पूरण बैराठी पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवकदास जी ने की। इस अवसर पर अपने उदगार व्यक्त करते हुए श्री इंदापुरकर ने कहा कि रागायन शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने के लिए जो कार्य कर रही है वह अनुकरणीय है। उन्होंने इसके लिए रागायन और उससे जुड़े लोगों को बधाई दी और कहा कि वे ऐसे ही सांस्कृतिक सरोकारों से जुड़े रहें।

शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देना रागायन का उद्देश्य: महंत रामसेवकदास

अध्यक्षीय उद्बोधन में महंत रामसेवक दास जी ने कहा रागायन का उद्देश्य शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देना तो है ही युवा कलाकारों को मंच देना भी है। उन्होंने कहा कि हमारे गुरुवर ने भी यही किया और हम भी यही कर रहे हैं। उन्होंने ग्वालियर के संगीत समाज से इस कार्य में जुड़ने और सहयोग करने का भी आवाहन किया।
कार्यक्रम के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में रविवार को सुबह उपस्थित हुई राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय की कुलगुरु विदुषी प्रो स्मिता सहस्त्रबुद्धे ने कार्यक्रम में शामिल सभी कलाकारों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन संगीत को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है, रागायन जैसी संस्था इस कार्य में पूरे प्राण पण से लगी है यह अच्छी बात है। समाज को भी इस कार्य में अपना योगदान देने की जरुरत है। कार्यक्रम का संचालन संजय देवले और डॉ विकास विपट डॉ स्वप्ना मराठे,ने किया।

30 से अधिक कलाकारों ने दी सांगीतिक प्रस्तुतियां
यमन से भैरव तक महकी सुरों की खुश्बू

पूरी रात चली इस सभा में सुर साज के मुख्तलिफ रंग देखने को मिले। सभा में 30 से अधिक कलाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से रसिकों को भाव विभोर कर दिया। सभा का शुभारंभ डॉ सुनील गोस्वामी के खयाल गायन से हुई। उन्होंने राग यमन में गायन की प्रस्तुति दी। इसके बाद डॉ अरुण धर्माधिकारी डॉ स्वप्ना मराठे,से लेकर डॉ वीणा जोशी, विदुषी श्रीमती साधना गोरे ,हेमांग कोल्हटकर सुजल जैन अखिलेश अहिरवार, अनूप मोघे आदि ने भी गायन की प्रभावशाली प्रस्तुतियां दी। इसी क्रम वेदान्त विपट , अनुनय शर्मा, विकास विपट ने एकल तबला वादन प्रस्तुत किया। जबकि अमन वर्मा का हवाई गिटार वादन , अब्दुल हामिद खान का सारंगी वादन , एकता जैन का शास्त्री गायन भी रसिकों को सुनने को मिला। हारमोनियम पर श्री नवनीत कौशल और अक्षत मिश्र की संगत लाजवाब रही

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