Headlines

राम मंदिर की अद्भुत छटा कर रही भक्तों को मंत्रमुग्ध

आखिरकार 500 वर्षों की बेहद लंबे इंतजार के बाद वह शुभ घड़ी आ गई है जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर के गर्भ ग्रह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। अयोध्या में भव्य और दिव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो चुका है। कुछ ही क्षणों में राम मंदिर के गर्भ ग्रह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। इस ऐतिहासिक पल के लिए मंदिर के साथ अयोध्या नगरी को भी खासतौर से सजाया गया है। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के लिए नागर शैली में बने राम मंदिर की छटा देखते ही बन रही है। मंदिर बेहद खूबसूरत नजर आ रहा है कि भक्तों की निगाहें इससे नहीं हट रही।

इससे प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिस्सा लेंगे। बता दे की रामलीला की मूर्ति का निर्माण मैसूर की मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा किया गया है। राम लला की 51 इंच की मूर्ति को गुरुवार को ही मंदिर के गर्भ ग्रह में स्थापित किया गया था। इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लेने के लिए कुल 14 जोड़ों को यजमान बनाया गया है। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह दोपहर 12.20 बजे शुरू होगा और दोपहर एक बजे तक जारी रहेगा।

ये हैं राम मंदिर की खास बातें

– राम मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है। मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा की ओर से होगा। दक्षिण दिशा से भक्त निकास कर सकेंगे। मंदिर की संरचना तीन मंजिला है। भक्त पूर्वी दिशा से 32 सीढ़िया चढ़कर मुख्य मंदिर में पहुंच सकेंगे।

– राम मंदिर की लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है। यह मंदिर तीन मंजिला है जिसमें हर मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है। मंदिर में 392 खंबे और 44 द्वार बनाए गए हैं।

– मंदिर में कुल पांच मंडपों का निर्माण किया गया है, नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप है।

– रामलला को गर्भ गृह में स्थापित किया जाएगा जो की ग्राउंड फ्लोर पर बना है। पहली मंजिल पर भगवान राम का दरबार सजाया जाएगा। मंदिर में खभों और दीवारों पर देवी देवताओं की मूर्तियों उकेरी गई है।

– मंदिर के पास एक सीता को ऊपर भी देखने को मिलेगा जो की पौराणिक काल का है। परिसर के हर कोने में सूर्य, भगवती, गणेश और शिव के मंदिर भी बनाए जाएंगे। परिसर के दक्षिणी हिस्से में अन्नपूर्णा और – हनुमान जी का मंदिर होगा। महर्षि वशिष्ठ, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि विश्वामित्र, निषाद राज, शबरी और अगस्त्य के मंदिर भी प्रस्तावित है।

– मंदिर की खासियत है कि यह लोहे का प्रयोग नहीं हुआ है। धरती के ऊपर किसी तरह के कंक्रीट का इस्तेमाल नहीं हुआ है। मंदिर के नीचे नेम डालने के लिए 14 मीटर मोटी रोलर कंपैक्टेड कंक्रीट बिछाई गई है। इसे एक नकली चट्टान का स्वरूप दिया गया है।

– धरती की नमी से मंदिर को बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्रिंट ग्रेनाइट से बनी है। मंदिर का पूरा परिसर 70 एकड़ में फैला हुआ है। 70 एकड़ में फैला यह पूरा हिस्सा इसके 70% इलाके में पेड़ पौधे लगाए जाएंगे। मंदिर परिसर में पर्यावरण और जल संरक्षण का भी पूरा ध्यान दिया गया है।

– मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टेप्स की सुविधा दी गई है। दिव्यांगजनो और वृद्धों के लिए भी मंदिर में राम और लिफ्ट बनाई गई है।

– मंदिर में एक दर्शनार्थ सुविधा केंद्र का निर्माण हो रहा है जिसकी क्षमता 25000 है। दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर की व्यवस्था भी बनाई गई है।

– मंदिर के हर तरफ आयातकार पर कोटा निर्मित हो रहा है। मंदिर के दक्षिण पश्चिमी हिस्से में नवरत्न कुबेर टीला बनाया जाएगा। यहां भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ है। जटायु प्रतिमा की स्थापना भी की गई है।

Please follow and like us:
Pin Share