
द्रव्य पूजा की खींचतान में भावपूजा नष्ट हो रही है जो जैन समाज के विखण्डन में मूल कारण है। – भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महामुनिराज
अप्पोदया प्राकृत टीका पर संपन्न हुयी त्रिदिवसीय राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी । परमपूज्य भावलिंगी संत आदर्श श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्शसागर जी महामुनिराज द्वारा “श्री योगसार प्राभृत” संस्कृत ग्रंथ पर 1000 पृष्ठीय प्राकृत टीका का सृजन किया गया है जो “अयोध्या ” नामक ग्रंथ के रूप में जन-जन के कल्याण में निमित्त बन रही है। 26-27-28 सितम्बर…