
जीवन और व्यवहार में विनम्रता का भाव एवं अहंकार का अभाव होना ही मार्दव धर्म है
इंदौर-मनुष्य के जीवन और व्यवहार में अहंकार ना होना और विनम्रता एवं सरलता का भाव होना ही मार्दव धर्म है। आचार्यों ने मान को महा विष रूप कहा है। व्यक्ति में स्वाभिमान हो लेकिन अभिमान नहीं होना चाहिए क्योंकि अभिमान/अहंकार व्यक्तित्व के विकास में बाधक है। महान वही बनता है जो विनम्र होकर मार्दव धर्म…