
संयम की साधना से आत्मबल की प्राप्ति होती है -मुनिश्री विलोकसागर
मुरैना (मनोज जैन नायक) श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के छठवें दिन कर्म दहन विधान का पूजन करते हुए 256 अर्घ समर्पित किए गए । जो कर्म हमारी आत्मा पर आवरण डाले हुए अनन्त चतुष्टय को प्रगट नहीं होने देते हैं ऐसे अष्टक्रमों से मुक्त होने के लिए ही पूजन, विधान आदि किए जाते हैं। यह…