इटावा*रामलीला मैदान स्थित हिन्दू हॉस्टल प्रांगण में हो रहे कुंडीय मृत्युंजय मां पीतांबरा महायज्ञ में पड़ रही करोड़ों आहुतियों से इटावा का समूचा पर्यावरण परम शुद्धता पाकर अपनी दिव्यता को प्राप्त करने में लगा हुआ है शुक्रवार को सप्तम दिवस को तीनों पालियों में
प्रातः 8 बजे आरंभ होकर, दोपहर और संध्या – तीनों समय की आहुतियों के साथ यज्ञ का दिव्य प्रवाह निरंतर विस्तृत होता रहा। आज का दिन आयोजन के इतिहास में विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा, क्योंकि यज्ञ में कुल 14 करोड़ आहुतियों का शुभ संख्यान पूर्ण हुआ। यह संख्या केवल एक सांख्यिक उपलब्धि नहीं, बल्कि समस्त सहभागी जनों की श्रद्धा, निष्ठा और तप-संकल्प का जीवंत प्रमाण है। यज्ञशाला में सुगंधित हवि की परिमल, मंत्रों की ध्वनि और “स्वाहा” के उच्चारण से उठती आभा – नगर इष्टिकापुरी को आज भी दिव्यता, शांति और ऊर्जस्विता से भरती रही। तीनों पालियों में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने आकर यज्ञकुण्डों में आहुतियाँ अर्पित कीं और मृत्युंजय माँ पीतांबरा की कृपा का अनुभव किया।
प्राचीन शास्त्रों के अनुसार यज्ञ मात्र एक कर्मकाण्ड नहीं, बल्कि सृष्टि के संतुलन का माध्यम है
ऊर्जा का पुनरारोपण, वातावरण का पवित्रीकरण, समाज में समरसता और मन में शांत, धैर्य व चैतन्य का उदय।
यज्ञ में डाली गई प्रत्येक आहुति “व्यक्ति से व्यापकता की ओर”
व्यष्टि से समष्टि की यात्रा है।
इसी कारण आज सम्पूर्ण इटावा की जनता इस आयोजन को केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सामूहिक तप, सामूहिक संकल्प के रूप में देख रही है।पूज्य गुरु यज्ञाधीश श्री रामदास जी महाराज ने सभी श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया और पुनः निवेदन किया कि आगामी पालियों और 16 नवंबर की पूर्णाहुति तक अधिकाधिक संख्या में पहुँचकर यज्ञ से लाभान्वित हों।यज्ञ व्यवस्था बनाने में नीरज तिवारी, जनमेजय सिंह भदौरिया, पंकज तिवारी बबलू, कुलदीप अवस्थी, अजय दीक्षित, अल्लू ठाकुर, पूनम पाण्डेय, नमिता तिवारी, प्रीती दुबे, धर्मेंद्र मिश्रा, अमित दीक्षित, मनोज पांडे कुक्कू राजौरिया, अनिकेत श्रीवास्तव का सहयोग रहा
इटावा मृत्युंजय मां पीतांबरा महायज्ञ में चौदह करोड़ आहुतियों ने किया पर्यावरण शुद्ध

