इटावा-शहर में रामलीला रोड स्थित हिंदू हॉस्टल ग्राउंड में आरंभ हुए 1108 कुण्डीय मृत्युंजय माँ पीतांबरा महायज्ञ के प्रथम दिवस के सभी अनुष्ठान वैदिक विधि-विधान एवं परंपरा के अनुसार भव्यता और श्रद्धा से संपन्न हुए।प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में वैदिक आचार्यों द्वारा मंगलाचार और गणपति पूजन के पश्चात् महायज्ञ की प्रथम क्रियाएँ प्रारंभ हुईं। इसके अंतर्गत सैकड़ों ब्रह्मचारियों का उपनयन संस्कार (यज्ञोपवीत संस्कार) वैदिक रीति से सम्पन्न कराया गया,जिसमें दर्जनों आचार्यों ने वेद-मंत्रों के उच्चारण के साथ ब्रह्मचर्य संस्कार की दीक्षा प्रदान की।यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक परंपरा का पुनर्स्मरण था,बल्कि नवयुवकों में वैदिक संस्कारों के प्रति आस्था जाग्रत करने का एक पवित्र प्रयास भी रहा।महायज्ञ में सहभागी सभी श्रद्धालुओं ने प्रायश्चित कर्म के अंतर्गत आत्मशुद्धि और मनोवृत्ति के परिष्कार हेतु वैदिक विधि से कर्मशुद्धि की।तत्पश्चात् दशविध स्नान सम्पन्न हुआ, जिसमें सभी यजमानों ने प्रतीकात्मक रूप से दस प्रकार के स्नानों द्वारा तन,मन और आत्मा की पवित्रता का संकल्प लिया,इसके पश्चात् नांदीमुख श्राद्ध का आयोजन हुआ,जिसमें समस्त यजमानों ने अपने पितृदेवों से इस महायज्ञ के आयोजन की अनुमति एवं आशीर्वाद प्राप्त किए।पूरे परिसर में वैदिक ध्वनियाँ, शंखनाद और श्रद्धालुओं के हर्षोल्लास ने वातावरण को अलौकिक बना दिया।यज्ञशाला में उपस्थित मातृशक्ति,बालक, युवा और वरिष्ठ भक्तों ने अपने- अपने श्रम,समय और सेवा से इस दिव्य आयोजन में सहभागी होकर यज्ञ के भाव-‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ -को जीवंत कर दिया।
पूरे आयोजन की निगरानी एवं मार्गदर्शन पूज्य स्वामी रामदास जी महाराज के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ।आगामी दिनों में यज्ञ के विभिन्न अध्याय-अग्नि प्रतिष्ठा,हविष्यान्न याग,विशिष्ट अनुष्ठान और महापूर्णाहुति- क्रमशः सम्पन्न किए जाएंगे।यह महायज्ञ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं,बल्कि भारत की वैदिक चेतना और सामूहिक पुण्य के पुनरुत्थान का उत्सव है।
मृत्यंजय मां पीतांबरा महायज्ञ के 1108 कुंडीय अनुष्ठान वैदिक विधि विधान से हुऐ सम्पन्न

