ग्वालियर। शहर की प्रतिष्ठित सांगीतिक संस्था रागायन द्वारा सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला में रविवार को आयोजित पंडित एकनाथ सारोलकर (दाजी) स्मृति संगीत समारोह श्रद्धा, समर्पण के सुरों की मिठास से सराबोर रहा। इस अवसर पर जयपुर के प्रख्यात खयाल गायक पं. (डॉ.) गिरींद्र तलेगांवकर को पंडित एकनाथ सारोलकर स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।
पूजन के साथ हुआ शुभारंभ:
समारोह का शुभारंभ गौरी-गणेश और मां सरस्वती की पूजा-अर्चना से हुआ। समारोह की अध्यक्षता रागायन के अध्यक्ष एवं सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला के पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवकदास जी महाराज ने की। उन्होंने डॉ. गिरींद्र तलेगांवकर, डॉ. वीणा जोशी तथा संगीतप्रेमियों के साथ दीप प्रज्वलित कर मां सरस्वती की आराधना की।
वैष्णवी गुप्ता के गायन ने बांधा समां:
सांगीतिक प्रस्तुतियों की शुरुआत डॉ. वीणा जोशी की शिष्या कु. वैष्णवी गुप्ता ने राग पूरिया धनाश्री में दो बंदिशों से की। विलंबित एकताल में “अब तो रुत मान” और द्रुत झपताल में “तोरे चरण कैसे पाऊं”। वैष्णवी ने दोनों बंदिशें भावपूर्ण और सधे अंदाज़ में प्रस्तुत कीं। गायन का समापन उन्होंने तराने से किया। तबले पर सजग माथुर और हारमोनियम पर अक्षत मिश्रा ने संगत दी।
श्लोक द्विवेदी का तबला वादन रहा आकर्षण का केंद्र:
इसके बाद डॉ. मुकेश सक्सेना के शिष्य श्लोक द्विवेदी ने तीनताल में एकल तबला वादन प्रस्तुत किया। उन्होंने पेशकार से लेकर कायदे, रेले और लग्गियों तक की प्रस्तुति दी, जिसमें ताल की गहरी समझ और मिठास झलकी। हारमोनियम पर लहरा अक्षत मिश्रा ने दिया।
डॉ. गिरींद्र तलेगांवकर का खयाल गायन मोह लिया मन:
कार्यक्रम का समापन जयपुर से पधारे पं. (डॉ.) गिरींद्र तलेगांवकर के खयाल गायन से हुआ। उन्होंने राग मारवा में तीन बंदिशें प्रस्तुत कीं , विलंबित झूमरा ताल में “अब मोरे घर आए”, मध्यलय एकताल में “हो गुनियन मिल” तथा द्रुत तीनताल में “आज माने न मोरा जिया”। तलेगांवकरजी ने अपनी अद्भुत तानों , लयकारी और भावपूर्ण अभिव्यक्ति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने भजन प्रस्तुत कर अपने गायन का समापन किया। संगत में तबले पर डॉ. विनय विंदे और हारमोनियम पर संजय देवले रहे।
सम्मान और समापन:
समारोह में स्वामी रामसेवकदास जी महाराज एवं पं. सारोलकर जी की पुत्री डॉ. वीणा जोशी ने पंडित एकनाथ सारोलकर स्मृति सम्मान के रूप में डॉ. गिरींद्र तलेगांवकर को शॉल और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में संगीत रसिक, कलाकार एवं गणमान्यजन उपस्थित रहे। संचालन अनिकेत तारलेकर ने किया।

