धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि पट्टाचार्य परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज को 150000 किलोमीटर से भी अधिक पद बिहार करने के लिए
आपके महान तपस्वी शिष्य डॉक्टर मुनि श्री 108 अनुतरं सागर जी एवं बाल ब्रह्मचारी अविनाश भैया भोपाल के मार्गदर्शन में आपकी तप ,त्याग तपस्या साधना को देखते हुए वर्ल्ड रिकॉर्ड यूं एस ए द्वारा आपको वात रसायन की उपाधि से विभूषित किया गया । पर्व राज पर्यूषण पर्व के उत्तम संयम के दिन हजारों श्रावकों को की उपस्थिति में आचार्य श्री के कर कमलों में सर्टिफिकेट एवं शील्ड भेंट मुनि श्री अनुतर सागर जी प्रमोद बारदाना मनोज बंगेला आलोक चौधरी संजीव पार्षद किशोर पहाड़े वैभव जैन बड़ा मलहरा एवं हजारों भक्तों की संनिधी में दी गई। दद्दू ने कहा कि वात रसायन को वेदों में जैन मुनियों को वात रसायन कहा गया है क्योंकि एक मात्र वायु की तरह निरंतर बहती रहती।स्थिर नहीं होती है। ऐसे ही जैन मुनि राज रहते हैं।सारे जगत के सागर ठहर जाएं पर दिगंबर मुनि ऐसे हैं जो वायु की तरह बहते रहते हैं। विहार करते रहते हैं। और जहां से मुनि राज निकलते वहां शीतलता फेलाते रहते हैं। इस उपलब्धि पर इंदौर दिगम्बर जैन समाज के वरिष्ठ जनों ने भी खुशी जाहिर की डां जेनेन्द्र जैन आजाद जैन अमित कासलीवाल हंसमुख गांधी टीके वेद मनीष मोना आदि समाज जन इस उपलब्धि पर हर्षित हुए।
श्रंमण संस्कृति के महामहिम पट्टाचार्य आचार्य 108 विशुद्ध सागर जी महामुनि राज को वात रसायन की उपाधि से विभूषित किया गया
