मुरैना में हुआ रक्षा बंधन विधान एवं अर्पित किया निर्वाण लाड़ू

मुरैना (मनोज जैन नायक) नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती बड़ा जैन मंदिर में चातुर्मासरत जैन संत मुनिराजश्री विलोकसागरजी एवं मुनिश्री विबोधसागरजी महाराज ने धर्म सभा के दौरान रक्षाबंधन पर्व पर उद्वोधन देते हुए कहा कि जैन दर्शन में रक्षाबंधन का महत्व इसीलिए है कि इस दिन अंकम्पनाचार्य आदि 700 मुनियों का उपसर्ग दूर हुआ था । इसीलिए रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है । पौराणिक काल में, अकंपनाचार्य के नेतृत्व में 700 जैन मुनियों का एक संघ हस्तिनापुर पहुंचा। राजा बलि ने उन पर उपसर्ग किया, जिससे मुनियों को कष्ट होने लगा। मुनि विष्णु कुमार ने वामन का रूप धारण कर बलि से तीन पग भूमि मांगी और तीन पग में ही सारा संसार नापकर मुनियों की रक्षा की। इस घटना को जैन धर्म में रक्षा बंधन के रूप में मनाया जाता है ।
जैन धर्म में, रक्षा बंधन न केवल भाई-बहन के बीच प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक है, बल्कि यह राष्ट्र, धर्म, और समाज की रक्षा का भी संकल्प लेने का दिन है। इस दिन, जैन धर्मावलंबी मंदिर जाते हैं, मुनि विष्णु कुमार और 700 मुनियों की पूजा करते हैं, और एक-दूसरे को राखी बांधकर एक-दूसरे की रक्षा एवं देश, धर्म, संस्कृति, साधु संतों की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं।
तीर्थंकर श्रेयांसनाथ को समर्पित किया निर्वाण लाड़ू
जैन धर्म में आदिनाथ से लेकर महावीर स्वामी तक 24 तीर्थंकर हुए हैं। आज युगल मुनिराजश्री विलोकसागरजी एवं मुनिश्री विबोधसागरजी महाराज के पावन सान्निध्य व निर्देशन में 11वें तीर्थंकर भगवान श्रेयांसनाथ स्वामी का मोक्ष कल्याणक महोत्सव हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया । इस पावन अवसर पर प्रतिष्ठाचार्य पंडित पवनकुमार शास्त्री दीवान द्वारा सभी क्रियाएं मंत्रोचारण के साथ संपन्न कराई गईं। जैन धर्मावलंबियों ने भगवान श्रेयांसनाथ का अभिषेक, शांतिधारा करते हुए अष्टद्रव्य से पूजन किया । सभी जिनभक्तों ने संगीत की मधुर धुन पर निर्वाण कांड का वाचन करते हुए श्री जिनेंद्र प्रभु के श्री चरणों में निर्वाण लाड़ू समर्पित किया । प्रथम लाड़ू यतींद्रकुमार संजयकुमार जैन एवं द्वितीय लाड़ू एडवोकेट दिनेशचंद वरैया परिवार को समर्पित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । सभी साधर्मी बंधुओं, माता बहिनों ने श्री जिनेंद्र प्रभु की आरती उतारकर श्री श्रेयांसनाथ स्वामी को याद किया । इस अवसर पर विद्वत नवनीत शास्त्री विशेष रूप से उपस्थित थे ।
700 मुनिराजों को यादकर चढ़ाए गए 700 अर्घ
रक्षा बंधन के पावन पर्व पर युगल मुनिराजों के सान्निध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य पवन शास्त्री दीवान के आचार्यत्व में रक्षाबंधन विधान का आयोजन किया गया । जिसमें सभी साधर्मी बंधुओं, माता बहिनों ने सम्मिलित होकर विष्णुकुमार मुनि सहित 700 मुनियों को स्मरण करते हुए उनका गुणगान किया ।
मंचासीन मुनिराज विलोकसागरजी एवं मुनिश्री विबोधसागरजी महाराज स्वयं विधान का निर्देशन कर रहे थे । पूज्य युगल मुनिराजों के श्रीमुख से विधान का वाचन हो रहा था । एक एक कर सभी 700 मुनिराजों को सभी मुनिभक्तों द्वारा अर्घ के साथ श्रीफल समर्पित किए गए ।
युगल मुनिराजों की पिच्छिका को बांधा गया रक्षा सूत्र
जैन धर्म में रक्षा बंधन का एक अलग ही महत्व है । धर्म, संस्कृति, साधु साध्वियों की रक्षा के संकल्प के साथ रक्षा बंधन मनाया जाता है । इसी संकल्प के साथ आज युगल मुनिराजों के संयम के उपकरण पिच्छिकाओं पर श्रावक श्रेष्ठियों द्वारा चांदी का रक्षा सूूत्र बांधा गया । पूज्य मुनिराज विलोकसागरजी महाराज की पिच्छिका को पवनकुमार सिद्धार्थ जैन पोरसा वाले परिवार एवं मुनिश्री विबोधसागरजी महाराज की पिच्छिका को महावीरप्रसाद विमलकुमार रेडियो वाले परिवार को रक्षा सूत्र बांधने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
पूज्य युगल मुनिराजों द्वारा सभी बंधुओं को रक्षा सूत्र वितरित किए गए । सभी ने अत्यंत ही श्रद्धा, समर्पण एवं भक्ति के साथ उन रक्षा सूत्रों को अपनी कलाई पर बांधा ।

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