ग्वालियर -: हम मन को नियंत्रित करें वचनों का जीवन में संयम बहुत जरूरी है। मन के असंयम से स्वयं दुखी होना पड़ता है पर वचनों के असंयम से बहुत कुछ घट जाता है। बोलने से पहले तोलना बहुत जरूरी है। संसार में वैसे तो अनंत प्राणी हैं, लेकिन वे बोल नहीं सकते। यह विचार आचार्य श्री सुबल सागर महाराज ने आज गुरुवार को नई सड़क स्थित चंपाबाग धर्मशाला मे धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
आचार्य श्री ने कहा कि मानव जीवन बड़ी दुर्लभता से पाया है आप जिसे चाहो जो बोल देते हो आप सही बोलो, सुंदर बोलो चाहे जो मत बोलो, वचनों की कीमत समझकर बोलो।हमेशा प्यास बुझाने वाले वचन बोलना चाहिए। आप स्वयं अपने वचनों के प्रहरी बनें मेरे मुंह से कौन से शब्द निकल रहे हैं। उन्होंने कहा कि माता पिता को अपने बच्चों को लौकिक शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक शिक्षा भी देनी चाहिए। लौकिक शिक्षा बच्चों को बाहरी दुनिया की समझ देती है, जबकि धार्मिक शिक्षा उन्हें धर्मसंस्कृति के अच्छे संस्कार और सही मार्ग पर चलना की सीखा मिलेगी। प्रवचन से पूर्व आचार्य श्री सुबल सागर महाराज ससंघ के चरणों में चातुर्मास समिति के निर्मल पाटनी, कमलेश जैन, वीरेंद्र बाबा, विनय कासलीवाल, इंजी, राजमल जैन, प्रमोद जैन, विकास जैन, चक्रेश जैन, योगेश जैन, नरेश रावका, पंकज छाबड़ा आदि ने श्रीफल भेटकर आशीवार्द लिया।
आचार्य श्री के सानिध्य में जिन सहस्त्रनाम विधान 24 परिवारों के द्वारा किया जा रहा है
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि आचार्य श्री सुबल सागर महाराज एवं विधानाचार्य पंडित विवेक शास्त्री के मार्ग दर्शन में चातुर्मास स्थल पर बने जिन मंदिर में जैन तीर्थ बरासो से आई भगवान माहवारी स्वामी प्रतिमा विराजित हे। प्रतिदिन जैन समाज के 24 परिवार के द्वारा अलग अलग दिन जिन सहस्त्रनाम विधान हो रहे हे। आज आचार्य श्री सुबल सागर महाराज ने जिन सहस्त्रनाम विधान में मंत्रो से विकाश सोनल जैन परिवार की ओर से भगवान महावीर का अभिषेक कलशों से किया गया। वही शांतिधारा विकाश जैन ने की। वही पुरुषों ओर महिलाओं ने अष्ट द्रव्य से संगीतमय से पूजन अर्चना कर महा अर्घ्य समर्पित किए गए