इंदौर-दिगंबर जैन तीर्थ स्वरूप आदिनाथ जिनालय छत्रपति नगर का 32 वां स्थापना दिवस एवं आदिनाथभगवान भगवान का 108 स्वर्ण,रजत कलशों से महा मस्तकाभिषेक एवं शांति धारा, उपाध्याय द्वय मुनिश्री विशोक सागरजी एवं विभंजन सागर जी महाराज के सानिध्य एवं पंडित योगेंद्र काला के निर्देशन में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए उपाध्याय श्री विशोक सागरजी ने कहा कि मंदिर धर्म की विरासत और समोषरण के प्रतीक होते हैं। वे लोग बहुत पुण्यशाली होते हैं जो मंदिर निर्माण में तन मन धन से सहयोग करते हैं।आपने यहां स्थापित आदिनाथ जिनालय की विशालता और उसके सुदर्शनी स्वरूप की सराहना करते हुए जिनालय को तीर्थ स्वरूप एवं छत्रपति नगर जैन समाज की पहचान निरुपित किया।
उपाध्याय श्री विभंजन सागरजी ने कहा कि छत्रपति नगर की जैन समाज बहुत सौभाग्यशाली है की उसे आज जिनालय का 32वां स्थापना दिवस देव शास्त्र गुरु के सानिध्य में मनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।आपने भी जिनालय निर्माण में सहयोग देने वालों की सराहना करते हुए उनके पुण्य की अनुमोदना की
धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि इसके पूर्व जिनालय की बेदी में विराजित मूल नायक आदिनाथ भगवान की प्रतिमा का 108 स्वर्ण रजत कलशों से महा मस्त का अभिषेक किया गया। अभिषेक शांति धारा करने का सौभाग्य मुख्य पुणयार्जक सर्वश्री महेंद्र कुमार सुपारी वाले, सेठ जयकुमार, मानिकचंद नायक, ट्रस्ट अध्यक्ष भूपेंद्र जैन, रमेश कुमार जैन बीना वाले एवंअखिलेश,अरविंद सोधिया ने प्राप्त किया।
इस अवसर पर दिगंबर जैन परवार समाज द्वारा की जाने वाली इंदौर में निवास एवं समाज के लोगों की जनगणना का फ्लेक्स एवं जनगणना फॉर्म का विमोचन परवार समाज अध्यक्ष राजेश लॉरेल, ग्रुप अध्यक्ष हेमंत मोदी, संदीप जैन बॉबी, दिनेश चेतक एवं डॉक्टर जैनेंद्र जैन विपुल बांझल आदि ने किया
मंदिर धर्म की विरासत और समोषरण के प्रतीक होते हैं
