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फिरोजाबाद में नवीन जिन मंदिर का भूमि पूजन शिलान्यास का किया गया पूजन

फिरोजाबाद-नगर चन्द्रनगर में नवीन जिन मंदिर जी श्री 1008 पदम प्रभु जिनालय का निर्माण का सपना साकार होने जा रहा है, जिसकी भूमि के शिलान्यास का कार्यक्रम अक्षय तृतीया के अवसर पर आयोजित किया गया, जिसमें सर्वप्रथम प्रातःकालीन वेला में देव-गुरु आज्ञा, मंगलमय घटयात्रा श्री रत्नत्रय दिगम्बर जैन मंदिर, नाशियाँ जी से प०पू० प्रज्ञाश्रमण मुनि श्री 108 अमित सागर जी महाराज (ससंघ) के सानिध्य मे प्रारंभ होकर, कोटला रोड होते हुई गाजे-बाजों एवं मंगल कलश के साथ छप्पनकुमारिया भगवान की भक्ति में झूमते हुए नाचते हुए प्रसन्न दिखाई दे रही थीं व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ न्यू तिलक नगर कार्यक्रम स्थल पर घटयात्रा संपन्न हुई। घटयात्रा का शुभारंभ धीरेश जैन ‘सिंघई’ द्वारा हरी झंडी दिखाकर किया गया।कार्यक्रम के मंगलमय शुभारंभ हेतु नसियां जी पाठशाला द्वारा मंगलाचरण की प्रस्तुति कु० सुहानी जैन के द्वारा दी गई।
मंच पर पदमप्रभ भगवान के चित्र का अनावरण वीरेंद्र जैन भदावर द्वारा, दीप प्रज्वलन सुभाष चन्द्र जैन, डॉ अमित जैन जी द्वारा किया गया।
मुनि श्री का पाद-प्रक्षालन का सौभाग्य सुभाष चन्द्र जैन शिलान्यास कर्ता परिवार एवं शास्त्र भेंट संजय कुमार जैन रैमजा को प्राप्त हुआ। प०पू० प्रज्ञाश्रमण मुनि श्री 108 अमित सागर जी महाराज ने कहा कि मंदिर निर्माण का कार्य सिर्फ भव्य जीवों के द्वारा ही होता है एवं ऐसा महा पुण्य का अवसर बारंबार प्राप्त नहीं होता है और अंत में कहा कि यह जिन मंदिर शीघ्र अति शीघ्र ख्याति एवं भव्यता को प्राप्त करेगा। ग्वालियर से पधारे पं० राजेन्द्र शास्त्री द्वारा मंत्रोच्चारण कर भूमि का शुद्धिकरण किया गयाएवम संगीतकार शैंकी जैन एंड पार्टी द्वारा अति मनोरमयी प्रस्तुति देकर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए।मंदिर जी का शिलान्यास सर्वप्रथम अवसर सुभाष चंद्र की जैन परिवार को प्राप्त हुआ।
उसके बाद मंदिर जी के ट्रस्टियों में उपस्थित महेश चन्द्र जैन अड़तिया, विमलेश कुमार जैन सिंघई , दिनेश चंद्र जैन मामा स्वीट्स, बृजेश कुमार जैन बबलू, अजय कुमार जैन सिंघई, नरेंद्र कुमार जैन, सुरेंद्र कुमार जैन द्वारा मंदिर जी की नींव पर स्वर्ण ईंटों को स्थापित किया।
उसके बाद सभी लोगों को स्वर्ण, रजत, ताम्र ईंटों को स्थापित करने का अवसर प्रदान किया गया।जिसमें कार्यक्रम में पधारे सभी महानुभावों ने अपनी चंचला लक्ष्मी का उपयोग मंदिर जी निर्माण के लिए किया।कार्यक्रम के पश्चात, सभी महानुभावों द्वारा वात्सल्य भोज ग्रहण किया गया

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