
जो शाश्वत है, उसे प्राप्त करना ही उत्तम सत्य धर्म है। भावलिंगी संत श्री दिगम्बराचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज
सहारनपुर-उत्तम सत्य धर्म – दूसरों को पीड़ादायक कठोर वचन परनिंदापरक वचन, झूठ वचन तथा दूसरों को नीचा दिखाने वाले वचन, असत्य की श्रेणी में आते हैं। इन सभी असत्य वचन को त्याग कर हित-मित प्रिय वचन कहना, उत्तम सत्य धर्म है। इस धर्म के होने पर ही धार्मिकता होती है। उत्तम सत्य धर्म – सत्य…