दुनिया भर में स्पेस मिशन की रेस है, हर साल अंतरिक्ष में अनगिनत मिशन लांच किए जाते हैं, कोई देश मंगल पर लैंड करता है तो कोई सूर्य की परिक्रमा. चांद की ही बात करें तो अब तक नासा 12 बार और सोवियत संघ और उसके विघटन के बाद बना रूस 24 बार मून मिशन लांच कर चुका है, इनमें कई मिशन चांद की सतह पर लैंड भी हुए हैं, लेकिन आपने कभी सोचा है कि इतने सफल मिशनों के बाद भी अंतरिक्ष के किसी क्षेत्र पर किसी भी देश का कब्जा क्यों नहीं है?
इसका कारण है संयुक्त राष्ट्र का अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष समझौता जो आज से 56 साल पहले हुआ था. इस नियम के तहत अंतरिक्ष मिशनों के लिए कई नियम और नीतियां तय की गई हैं, इनमें अंतरिक्ष गतिविधियों के साथ, हथियार ले जाने पर पाबंदी और अंतरिक्ष में होने वाले किसी भी हादसे या दुर्घटना के लिए जिम्मेदारी तय की गई है. यदि किसी देश का मिशन किसी दूसरे देश के मिशन को नुकसान पहुंचाता है तो उसके लिए भी मुआवजे की व्यवस्था है.
क्या है अंतराराष्ट्रीय अंतरिक्ष समझौता
1919 में अंतरिक्ष कानून बना था. इसके तहत सभी देशों को अपने भौगोलिक क्षेत्र के ऊपर हवाई क्षेत्र की संप्रभुता दी गई थी, लेकिन जब घरेलू अंतरिक्ष मिशनों की शुरुआत हुई तो एक ऐसे समझौते की आवश्यकता पड़ी, जिसमें सभी देशों को शामिल किया जाना था. सोवियत संघ ने जब 1957 में अपना पहला कृत्रिम उपग्रह स्पूतनिक-1 लांच किया को संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष समझौते पर बल दिया, क्योंकि किसी भी देश के अंतरिक्ष मिशन को दूसरे देश की अंतरिक्ष सीमा को पार करना जरूरी था. इसी के बाद एयरोस्पेस कानून से अलग अंतरिक्ष नियम बनाए गए. 1967 में इसे अंतराराष्ट्रीय अंतरिक्ष समझौता के तौर पर मान्यता दी गई. भारत शुरुआत से ही इस समझौते का हिस्सा है.
ये हैं अंतरिक्ष के नियम
1967 में अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष समझौता के जो पहली शर्त थी वह यह थी कि अंतरिक्ष के किसी भी क्षेत्र पर किसी देश का कब्जा नहीं होगा. समझौते के तहत यूएन के सदस्य देश किसी भी दूसरे देश के बाहरी अंतरिक्ष सीमा का प्रयोग कर सकते हैं
अंतरिक्ष मिशनों के साथ हथियार नहीं ले जाए जा सकते हैं, खास तौर से ऐसे हथियार को जनसंहार या सामूहिक विनाश करने वाले हों.
इस समझौते में रेस्क्यू एग्रीमेंट को प्रमुखता दी गई, इसके तहत सभी राष्ट्रों का पहला दायित्व अपने अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा है, यदि कोई मिशन संकट में पड़ता है तो सभी देश मदद करेंगे और अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने का प्रयास करेंगे.
यूएन महासभा में एक और प्रमुख नियम जो लागू किया गया वह था कि यदि किसी देश के स्पेस मिशन से अंतरिक्ष में किसी अन्य देश के मिशन का नुकसान होता है तो संबंधित देश उत्तरदायी होगा और मुआवजा भी देगा.
समझौते के तहत अंतरिक्ष में यातायात को सामंजस्यपूर्ण बनाने के नियम भी बनाए गए हैं, जिसके तहत सभी देशों को एक-दूसरे का सहयोग करना होगा, ताकि स्पेस मिशनों के बीच में टकराव न हों.
अंतरिक्ष में प्रदूषण के लिए स्पेस में मिशन भेजने वाले सभी देशों को काम करना होगा. यह तय करना होगा कि अंतरिक्ष से जो सेटेलाइट या रॉकेट के अवशेष गिरें उससे किसी तरह की हानि न हो.
रूस और चीन की मनमर्जी
1979 में संयुक्त राष्ट्र की ओर से एक मून एग्रीमेंट भी तैयार किया गया था, इसका प्रमुख उद्देश्य था कि अंतरिक्ष का कभी भी कमर्शियल इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र के इस समझौते से चीन और रूस ने खुद को दूर रखा था, उनका तर्क ये था कि अंतरिक्ष के सभी नियम बनाने का अधिकार अमेरिका के पास नहीं है.