राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर में 18वां स्थापना दिवस समारोह

ग्वालियर। स्वयं का मूल्यांकन करें कि अब तक आपने क्या पाया, क्या खोया और आगे क्या पाना चाहते है इसकी एक रूपरेखा तय की जाये। इसके लिये प्रतिवर्ष स्थापना दिवस मनाया जाता है। यह स्थापना दिवस स्वयं के कार्यो का मूल्यांकन करने और भविष्य के लिये निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने लिये संकल्प लेना होता है। यह बात राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर का 18वां स्थापना दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलगुरु प्रो. एस.के. जैन ने कहीं। उनका कहना था कि जिस संस्था मे आप कार्य कर रहे हो वह संस्था आपकी है। इसलिये हर कार्य अपनी जिम्मेदारी के साथ करें ना कि अपने कार्य को टाले क्योंकि हर व्यक्ति की अपनी-अपनी जिम्मेदारियां है जिनका निर्वाहन निष्ठापूर्वक किया जाता है तो वह संस्थान उन्नति की उड़ान स्वतः ही भरने लगता है। मुख्य अतिथि ने कहा कि जिस तरह से विश्वविद्यालय में जो नवाचार, शोध कार्य और शिक्षा कार्य चल रहे है उससे प्रतीत होता है कि यहां पर हर व्यक्ति निष्ठावान है। विद्यार्थी, वैज्ञानिक एवं किसान सब मिलकर एक संकल्प ले और लक्ष्य निर्धारित करें। उन्होने कहा कि आज इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक नृत्य नाटिका ने एक संदेश यह भी दिया है कि जिस भारत भूमि पर हमने जन्म लिया है हमे उस पर गर्व होना चाहिए भारत भूमि हमारी मां है जितनी श्रेष्ठ परंपराएं इस भारत भूमि पर है उतनी कही भी नहीं है। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य यह है कि हम उच्च गुणवत्ता युक्त भारतीय नागरिक तैयार करे। हमे यह सोचना होगा कि यह विश्वविद्यालय हमारा है और इसके प्रति समर्पित भाव से कार्य करना होगा। मनुष्य कि आवयश्कताएं थोड़ी है पर इच्छाएं अनंत हैं। मनुष्य को जितनी आवयश्कता है प्राकृतिक संसाधनों जैसे नदी भूमि आदि से उतना ही लेना चाहिए तभी प्रकृति एवं मानव जीवन में सामंजस्य बना रहेगा। डॉ. जैन द्वारा एक पेड़ मॉ के नाम भी रोपित किया गया।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रमण्डल सदस्य एवं विधायक साहब सिंह गुर्जर ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि मैं किसान का बेटा हूॅ मैने देखा है कि खेती करने में कितनी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इस सभागार में बैठे लोगो के चहेरो से बता सकता हूॅ कि कौन विद्यार्थी है कौन किसान है और कौन वैज्ञानिक है। जिसके माथे पर सिलवटे और पसीने की बंूदे हो वहीं हमारा अन्नदाता है। कृषि के क्षेत्र में विश्वविद्यालय द्वारा जो शोध कार्य किये गये और किये जा रहे है वह उल्लेखनीय है कुलगुरू डॉ. अरविन्द कुमार शुक्ला के मागदर्शन में विश्वविद्यालय लगातार उन्नति करता जा रहा है। फसलों की दिशा में कई शोध कार्य किये गये कि आज हमे खुशी है कि कुलगुरू के मार्गदर्शन में पेड़-पौधों पर भी शोध कार्य चल रहे है जो किसान की आय तो बढायेगे कि साथ ही पर्यावरण को शुद्ध रखेगे और मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाने का कार्य करेंगे।
कार्यक्रम के अध्यक्ष रा.वि.सिं. कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के कुलगुरु प्रो. अरविन्द कुमार ने सम्बोधित करते हुये कहा कि कार्य कोई छोटा बड़ा नहीं होता जिस तरह से रामसेतु निर्माण में एक गिलहरी का भी योगदान था ठीक उसी तरह विश्वविद्यालय की उन्नति में हर कार्य करने वाले व्यक्ति का योगदान है उन्होने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप आज जो शिक्षा प्राप्त कर रहे है वह आपके भविष्य का निर्माण करेंगी लेकिन उससे आपको अपने जीवन का रास्ता इस तरह से तय करना है जो आपका पथ बने और लोग उस पथ पर चले। क्योंकि भगवान राम जिन रास्तों से होकर गये उन्हें संघर्ष जरूर मिला लेकिन वह पथ रामपथ बन गया। इसलिये जो भी कार्य आपको मिला उससे अधिक कार्य करने का प्रयास करें और राष्ट्रनिर्माण में भागीदार बने।
कार्यक्रम के स्वागत उद्बोधन में कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अजय कौशल ने 18वे स्थापना दिवस पर बधाई दी और कहा कि कोरोना जैसे वैश्विक महामारी के दौरान देश में 02 ही क्षेत्र में गतिविधियॉ संचालित थी एक स्वास्थ्य के क्षेत्र में और दूसरी कृषि। कृषि का योगदान हमारे देश की जी.डी.पी. बढाने में भी महत्वपूर्ण रहा है उन्होने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कृषि है। साथ ही विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाली इकाई जैसे 22 कृषि विज्ञान केन्द्र, 05 विशेष अनुसंधान केन्द्र, 04 कृषि महाविद्यालय एवं 01 उद्यानिकी महाविद्यालय आदि की वर्षभर की उपलब्धियों के बारे में भी बताया।
समारोह में निदेशक अनुसंधान सेवायें डॉ. संजय शर्मा ने कहा कि दलहन, तिलहन एवं अनुसंधान की नये नवाचारों के लिये हमारा विश्वविद्यालय निरंतर प्रयासरत है। इस गौरवशाली अवसर पर विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। तथा निदेशक विस्तार सेवायें एवं शिक्षण डॉ. वाय.पी. सिंह द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।
श्रमिको को मिला सम्मानः-
कुलपति डॉ. अरविन्द कुमार शुक्ला द्वारा माली नेपाल सिंह, कैलाश, इलेक्ट्रीशियन जय कुमार, विजय भदौरिया, गौशाला में कार्यरत गौपालक बनवारी एवं कुशल श्रमिक जितेन्द्र कुशवाह सहित सभी को 2100 रूपये के नगद पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इस मौके पर प्रमंडल सदस्य श्री मधुसुदन शर्मा, श्री भवानी शंकर शर्मा, श्री सरमन लाल धाकड़ एवं लेखा नियत्रंक श्री आर.एस. चतुर्वेदी, अन्य कृषि/उद्यानिकी महाविद्यालयों के अधिष्ठाता सहित अधिकारी-कर्मचारी और विद्यार्थी मौजूद रहे। इस मौके पर विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
स्थापना दिवस समारोह पर उत्कृष्ट कार्य हेतु सम्मानित -ः
ऽ कृषक फैलो सम्मान- धर्मपाल सिंह चौहान, निवासी ग्राम खोकरिया, जिला-देवास,
नरेन्द्र पाटीदार, निवासी ग्राम जनकपुर जिला-नीमच,
राम गोपाल गुप्ता, निवासी ग्राम भौंती जिला- शिवपुरी
ऽ बेस्ट AICRP – AICRP में कॉटन कृषि महाविद्यालय, खण्डवा एवं AICRP में ड्रायलेण्ड कृषि महाविद्यालय, इंदौर
ऽ बेस्ट कृषि विज्ञान केन्द्र – नीमच एवं बड़वानी
ऽ बेस्ट टीचर – डॉ. अनुज कुमार, उद्यानिकी महाविद्यालय, मंदसौर, डॉ. अनुराधा गोयल (गेस्ट फेकल्टी), कृषि महाविद्यालय, ग्वालियर, डॉ. अंविता शर्मा (गेस्ट फेकल्टी) कृषि महाविद्यालय, इंदौर, डॉ. अभिलाषा शर्मा (गेस्ट फेकल्टी) कृषि महाविद्यालय, सीहोर
ऽ बेस्ट Extensionist – डॉ. एस.के बडौदिया एवं डॉ. एस.एस. चौहान, केवीके, बड़वानी एवं धार
ऽ बेस्ट वैज्ञानिक – डॉ. सुषमा तिवारी, कृषि महाविद्यालय, ग्वालियर
ऽ बेस्ट फार्म मैनेजर – डॉ. लेखराम, कृषि महाविद्यालय, सीहोर
ऽ बेस्ट कम्प्यूटर ऑपरेटर – राजेश गुप्ता, कुलपति कार्यालय, ग्वालियर
ऽ बेस्ट तकनीकी अधिकारी – डॉ. सविता कुमारी, केवीके उज्जैन, उदय सिंह अवस्या, केवीके बड़वानी
ऽ बेस्ट कर्मचारी – सबा फातिमा, केवीके दतिया, वी.के. बडेरिया, कुलसचिव कार्यालय, चेतन जोशी, कृषि महाविद्यालय, इंदौर, शैलेन्द्र त्रिपाठी, निदेशक विस्तार सेवायें, ग्वालियर, श्रीकांत कुशवाह, कृषि महाविद्यालय, खण्डवा, रामवीर कुशवाह, कुलपति कार्यालय, ग्वालियर, राजेश कुमार, निदेशक विस्तार सेवायें, ग्वालिय

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