ग्वालियर। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में मंगलवार को एक विशेष दौरे के दौरान भोपाल स्थित उद्यानिकी विभाग की डायरेक्टर डॉ. प्रीति मैथिल अचानक विश्वविद्यालय परिसर पहुंचीं। उन्होंने यहां चल रहे कई नवीनतम कृषि प्रयोगों और नवाचारों का अवलोकन किया।
डायरेक्टर मैथिल ने सबसे पहले एयरोपोनिक और हाइड्रोपोनिक यूनिट का निरीक्षण किया, जहां बिना मिट्टी के उन्नत तकनीक से पौधों की खेती की जा रही है। उन्होंने इन यूनिट्स में अपनाई जा रही वैज्ञानिक विधियों, संसाधनों और विद्यार्थियों की भागीदारी की सराहना की। इसके बाद उन्होंने बायोटेक्नोलॉजी लैब का भ्रमण किया, जहां छात्र और वैज्ञानिक विभिन्न जैविक अनुसंधानों में लगे हुए हैं। लैब में पौधों की ऊतक संवर्धन, रोग प्रतिरोधक किस्मों का विकास और बायोफर्टिलाइज़र पर हो रहे शोध ने उन्हें काफी प्रभावित किया।
विशेष आकर्षण का केंद्र रहा विश्वविद्यालय में तैयार हो रहा वैदिक गांव, जिसे भारतीय पारंपरिक जीवनशैली और जैविक कृषि के आधार पर विकसित किया जा रहा है। यहां उन्होंने जैविक तालाब, कच्चे घर और ट्री हाउस को देखा और उसकी सराहना की।
डायरेक्टर प्रीति मैथिल ने कहा किः- ‘‘विश्वविद्यालय आधुनिक विज्ञान और भारतीय परंपरा का अद्भुत समन्वय कर रहा है। वैदिक गांव और हाइड्रोपोनिक जैसी तकनीकों का एक साथ विकास प्रेरणादायक है।’’
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला ने बताया कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह किसानों, विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए एक जीवंत प्रयोगशाला के रूप में विकसित हो रहा है और निदेषक अनुसंधान सेवायें डॉ. संजय शर्मा भी मौजूद रहे। दोनों अधिकारियों ने विश्वविद्यालय के शोध, नवाचार और भविष्य की योजनाओं की जानकारी दी