मुरैना (मनोज जैन नायक) मंदिर का मिल जाना अथवा भगवान का मिल जाना सहज और सरल है । लेकिन मंदिर अथवा भगवान के प्रति श्रद्धा बनाना कठिन है । धन से मंदिर तो बनाए जा सकते हैं, मंदिरों में प्रतिमाएं भी स्थापित की जा सकती हैं लेकिन उसी धन से उनके प्रति श्रद्धा नहीं खरीदी जा सकती । धन से विधानादि धार्मिक अनुष्ठान तो करवा सकते हो, विभिन्न प्रकार की तस्वीरें, पोस्टर, शास्त्र, पुस्तकें तो छपवा सकते हो, लेकिन श्रद्धा कहां से लाओगे। क्योंकि श्रद्धा बाजार में नहीं बिकती, श्रद्धा खरीदी नहीं जा सकती ।
“लाख सूरज रोशनी दे, क्या उससे फायदा”
“जब दिलों में हो अंधेरा, फिर सुबह से क्या फायदा”
रिश्ते जब अच्छे लगते हैं, जब हृदय में उनके लिए स्थान हो । यदि माता पिता हमारे साथ हों और हमारे हृदय में उनके लिए सम्मान न हो, जगह न हो तो क्या फायदा । हमारे हृदय में, हमारे दिलों में उनके लिए सम्मान नहीं है, स्थान नहीं हैं तो उनके साथ से कोई फायदा नहीं हैं। उन सब के प्रति हमारे दिल में, हमारे हृदय में सम्मान होना चाहिए । पुण्योदय से हमें गुरुओं का सान्निध्य मिल जाए और उनके प्रति हमारे हृदय में श्रद्धा न हो तो गुरु के सान्निध्य का या उनके चरणों में बैठने का कोई लाभ नहीं मिलता । साधु संतो गुरुओं का हमें सान्निध्य मिल पाए या न मिल पाए लेकिन अंतरंग में उनके प्रति श्रद्धा का भाव सदैव होना रहना चाहिए । कहते हैं कि “भक्त के वश में है भगवान” । क्योंकि भक्त के मन में, भक्त के हृदय में भगवान के प्रति अगाध श्रद्धा होती है, समर्पण होता है, इसीलिए कहा गया है कि भक्त के वश में है भगवान । इसलिए हमें अपनों के प्रति, अपने इष्ट के प्रति, अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धा भाव रखना चाहिए, तभी हम उनसे लाभान्वित हो सकते है अन्यथा उनका सान्निध्य हमें कोई लाभ नहीं पहुंचा सकता ।
आज निकलेगी भव्य घट यात्रा
बड़े जैन मंदिर जी में चातुर्मास हेतु विराजमान युगल मुनिराजश्री विलोक सागर एवं मुनिश्री विबोधसागर महाराज की मंगल प्रेरणा एवं आशीर्वाद से पूज्य युगल मुनिराजों के पावन मंगल सान्निध्य में 03 जुलाई से 11 जुलाई तक होने जा रहे श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ के शुभारंभ में घट यात्रा जुलूस निकलेगा ।
आयोजन समिति के मुख्य संयोजक अनूप जैन भंडारी ने बताया कि मंगल कलशों में मांगलिक वस्तुओं हल्दी, सुपाड़ी, सिक्का, पीली सरसों के साथ जल लेकर महिलाओं की भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी । उस जल से आयोजन स्थल, मंडप, पांडाल आदि का मंत्रोचारण के साथ शुद्धिकरण किया जाएगा । तत्पश्चात विधान में सम्मिलित होने वाले पात्रों सौधर्म इंद्र, कुबेर इंद्र, श्रीपाल मैनासुंदरी, यज्ञनायक एवं इंद्र इंद्राणियों का चयन किया जायेगा ।
निर्वाण लाड़ू के साथ तीर्थंकर नेमिनाथ का होगा स्वर्ण कलशों से जलाभिषेक
तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक महोत्सव के पावन पर्व पर आज बड़े जैन मंदिर में पूज्य युगल मुनिराजों के सान्निध्य में निर्वाण लाड़ू महोत्सव मनाया जाएगा । सभी भक्तगण सामूहिक रूप से प्रातः सात बजे तीर्थंकर नेमिनाथ स्वामी का स्वर्ण कलशों से जलाभिषेक करेंगे । पूज्य गुरुदेव के मुखारबिंद से उच्चारित भगवान की शांतिधारा की जाएगी । सभी साधर्मी बंधु माता बहिनें अष्टद्रव्य से तीर्थंकर नेमीनाथ का पूजन कर, निर्वाण कांड का वाचन करते हुए निर्वाण लाड़ू समर्पित करेंगे ।
प्रतिदिन होते है प्रवचन व शंका समाधान
बड़े जैन मंदिर जी में वर्षायोग हेतु विराजमान परम पूज्य जैन मुनिश्री विलोक सागर एवं मुनिश्री विबोधसागर महाराज के प्रतिदिन प्रातः 08.30 बजे से 09.30 बजे तक धर्म सभा के दौरान प्रवचन होते हैं। शाम को 06.30 बजे शंका समाधान कार्यक्रम के तहत पूज्य गुरुदेव भक्तों की शंकाओं/जिज्ञासाओं का समाधान करते हैं।
साधु संतों के प्रति हृदय में श्रद्धाभाव रखना चाहिए -मुनिश्री विलोकसागर, आज नेमिनाथ लाड़ू एवं घटयात्रा जुलूस
