ग्वालियर। शहर के ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला पर रविवार को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव का पर्व रामनवमी परंपरागत हर्षोल्लास एवं श्रद्धा भक्ति के साथ मनाई गई। इस अवसर पर भगवान श्रीराम का अभिषेक, महाआरती, कीर्तन जैसे धार्मिक अनुष्ठान किए गए। चूंकि आज नवरात्रि का भी समापन था सो कन्या भोज कर माता को भी विदाई दी गई।
सिद्धपीठ श्रीगंगादास जी की बड़ी शाला 52 रामद्वारों में से एक है। यह सिद्धस्थल लगभग 700 साल प्राचीन है। शाला में राम दरबार, हनुमान मंदिर, देवी मंदिर, शिवलिंग एवं संत महंतों की समाधियां हैं। राम नवमी पर आज राम दरबार को भव्यता से सजाया गया। शाला के महंत पूरण बैराठी पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवक दास जी के सानिध्य में आचार्य मंगलदास जी चौबे ने ब्रह्ममुहुर्त की बेला में विष्णु सहस्त्र नामावली के पवित्र मंत्रों के साथ भगवान श्रीराम का अभिषेक किया। इसके पश्चात 10 बजे से विष्णु दुबे जी ने श्री राम जन्मोत्सव की कथा का वाचन किया। दोपहर 12 बजे धूमधाम एवं श्रद्धा भक्ति के साथ भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया गया। सभी साधु संतों एवं भक्तों ने मिलकर महाआरती की। भजन कीर्तन के आयोजन के बाद प्रसादी का वितरण किया गया। इस अवसर पर श्री संजय गर्ग, कैलाश अग्रवाल ,ब्रह्मदत्त दुबे, श्रीदास जी, रामकिशनदास जी अमित शर्मा, कपिल शर्मा सहित बड़ी संख्या में भक्त और श्रद्धालु उपस्थित थे।
श्रीराम हमारे जीवन का आधार: स्वामी रामसेवकदास जी
इस अवसर पर बोलते हुए पूरण बैराठी पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवक दास जी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम का जीवन आदर्श विश्व संस्कृति और आध्यात्म को पोषित करता है। मानव को मानव की तरह बने रहने और मानव की तरह ही व्यवहार करने की प्रेरणा देता है। राम का स्वयं का जीवन तो प्रेरणा देता ही है, उनके सहचरों का जीवन भी कम प्रेरणादायी नहीं है। समर्पण और धैर्य के साथ परिस्थितियों पर विजय कैसे पा सकते हैं , यह समाज को राम का जीवन सिखाता है। उन्होंने कहा राम हमारे जीवन का आधार है।