सेमीकंडक्टर चिप पर अमेरिका, चीन के बीच की छिटपुट लड़ाई आप रोज देख और सुन रहे होंगे. आने वाले दिनों में अब आप इस ग्लोबल वॉर हो भूलने वाले हैं. इसका कारण भी है. भारत में इस ग्लोबल वॉर से बड़ी ‘लोकल वॉर’ शुरू होने वाली है. इस वॉर में एशिया के सबसे अमीर कारोबारी और भारत की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी उतरने वाले हैं. इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में वेदांता से लेकर, फॉक्सकॉन, टाटा ग्रुप, माइक्रॉन और देश की उन दूसरी छोटी बड़ी कंपनियों को रिलायंस यानी मुकेश अंबानी के चिप कारोबार से टकराना होगा जो देश में चिप मेकिंग का काम शुरू करने वाली हैं या फिर शुरू कर दिया है. वैसे मुकेश अंबानी को सबसे बड़ी टक्कर फॉक्सकॉन और टाटा ग्रुप से मिलने वाली है.
अभी टाइमलाइन फिक्स नहीं
अपने इस कारोबार के लिए रिलायंस की ओर से विदेशी पार्टनर भी तलाश करना शुरू कर दिया है. ताकि वो चिप मैन्यफैक्चरिंग के लिए उनकी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सके. इसके लिए एनवीडिया का नाम भी प्रमुख से लिया जा रहा है. जोकि अमेरिका की सबसे चिप मेकिंग कंपनियों में से एक है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार अभी तक कंपनी की ओर से किसी तरह की टाइमलाइन फिक्स नहीं की गई है. जानकारों की मानें अभी जिन कंपनियों के नाम सामने आ रहे हैं वो कयासों के तहत हैं. अभी तक किसी भी विदेशी कंपनी का नाम फाइनलाइज नहीं किया गया है. अभी तक इस मामले में रिलायंस की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. ना ही आईटी मिनिस्ट्री और पीएमओ की ओर से कोई बयान आया है.
देश और दुनिया को होगी काफी मदद
जानकारों की मानें तो रिलायंय सेमीकंडक्टर में काफी संभावनाएं देख रहा है. अगर मुकेश अंबानी इस कारोबार में आते हैं और चिप मैन्युफैक्चरिंग करते हैं तो वो देश और दुनिया की सप्लाई चेन को दुरुस्त करने में तो मदद करेंगे ही साथ वह अपने टेलीकॉम और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के कारोबार को भी काफी मदद करेंगे. 2021 में, ग्रुप ने चिप की कमी का हवाला देते हुए Google के साथ विकसित किए जा रहे कम लागत वाले स्मार्टफोन के लॉन्च में देरी की. भारत और ग्लोबल लेवल पर सेमीकंडक्टर्स की मांग भी बढ़ रही है. भारत सरकार ने अनुमान लगाया है कि घरेलू चिप मार्केट 2028 तक 80 बिलियन डॉलर का हो जाएगा, जबकि वर्तमान में यह 23 बिलियन डॉलर का है.
चिप मेकिंग में क्यों जरूरी है मुकेश अंबानी की रिलायंस?
अमेरिकी चिप मेकर ग्लोबलफाउंड्रीज के पूर्व भारतीय कार्यकारी अरुण मम्पाझी ने कहा कि रिलायंस, जिसका मार्केट कैप लगभग 200 बिलियन डॉलर है, सेमीकंडक्टर के सेक्टर के लिए काफी मुफीद होती. उन्होंने कहा कि रिलायंस के पैसों की कमी नहीं है और वे जानते हैं कि सरकार के साथ कैसे काम करना है. उन्होंंने यह भी कहा कि चिप निर्माण एक ऐसा उद्योग है जो ऐतिहासिक रूप से तेजी और मंदी के साइकिल से घिरा रहा है और इसके लिए बहुत अधिक विशेषज्ञता की जरुरत होती है. मम्पाज़ी ने कहा कि ज्वाइंट वेंचर के रूप या टेक ट्रांसफर के माध्यम से एक तकनीकी भागीदार प्राप्त करना काफी जरूरी है.