अतिशय क्षेत्र रानीला के इतिहास में गणिनी आर्यिका आर्षमति माताजी का प्रथम चातुर्मास
जैन तीर्थ रानीला – एक नजर में
(मनोज जैन नायक, मुरैना)
रानीला/हरियाणा (मनोज जैन नायक) श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र रानीला के इतिहास में 2024 तक किसी साधु या साध्वी का चातुर्मास नहीं हुआ था । क्षेत्र पर 2025 में प्रथम चातुर्मास करने का सौभाग्य सराकोद्धारक समाधिस्थ आचार्यश्री ज्ञानसागरजी महाराज की शिष्या गणिनी आर्यिका आर्षमति माताजी ससंघ को प्राप्त हुआ । क्षेत्र पर चातुर्मासरत गुरुमां गणिनी आर्यिका आर्षमति माताजी ने बताया कि वर्ष 2025 के चातुर्मास का समय नजदीक था । विभिन्न शैलियों की समाज के लोग वर्षायोग हेतु श्रीफल अर्पित कर निवेदन कर रहे थे । लेकिन एक अदृश्य शक्ति हमें किसी स्थान विशेष की ओर खींच रही थी । हम निर्णय नहीं कर पा रहे थे कि कहां जाएं, किधर जाएं। जब हमनें रानीला क्षेत्र की ओर विहार किया तब लोगों ने हमें बताया कि अतिशय क्षेत्र रानीला के आसपास न कोई बस्ती है, न कोई दुकान है, न कोई मार्केट है। चारों तरफ सुनसान इलाका है । यहां के लगभग 40 कि. मी. के क्षेत्र में कोई जैन परिवार भी निवासरत नहीं हैं। न चाहते हुए भी अनायास ही हमारे कदम रानीला की ओर बढ़ने लगे । कहने वालों से हमने कहा कि संयम के मार्ग का पथिक बनने के लिए हमने 19 वर्ष पूर्व गृह त्याग कर परम पूज्य गुरुदेव सराकोद्धारक समाधिस्थ षष्ट पट्टाचार्य श्री ज्ञानसागरजी महाराज का चरण सान्निध्य प्राप्त किया था । पूज्य गुरुदेव के साथ भी और गुरुदेव के बाद भी हमने बहुत भीड़ और बहुत भव्यता देखी है। लेकिन इसवार अतिशय क्षेत्र रानीला के बड़े बाबा की छत्र छाया में यहां के सुरभ्य प्राकृतिक मनोहारी एकांतमय वातावरण में साधना करनी हैं। ये हमारा ध्येय भी है और दृढ़ संकल्प भी है ।
भारतवर्ष में अतिशय क्षेत्र तो बहुत हैं, लेकिन रानीला की बात ही निराली है । बताया जाता है कि यहां की भूमि बंजर थी । लेकिन जब बड़े बाबा आदिनाथ भगवान भूगर्भ से प्रगट हुए तो चमत्कार ये हुआ कि चारों ओर हरियाली छा गई । यहां के अतिशय का मूल कारण है कि रानीला क्षेत्र भौतिकतावादी चकाचौध, विभिन्न प्रकार की विषमताओं और गंदगी से कोसों दूर है । यही कारण है कि इस क्षेत्र की सकारात्मक वर्णनाएं चमत्कार को बनाएं हुए हैं।
यहां आने वाले श्रद्धालु और दर्शनार्थी बताते है कि हम जा तो कहीं और रहे थे, लेकिन अचानक विचार बदला ओर हम रानीला आ गए । यह सब उस अदृश्य शक्ति का या कहो बड़े बाबा श्री आदिनाथ जी का चमत्कार ही तो है, जो आपको यकायक यहां ले आया । जो भी व्यक्ति यहां पर भूगर्भ से प्राप्त आतिशकारी भगवान आदिनाथ जी स्वामी का श्रद्धा व भक्ति पूर्वक मस्तकाभिषेक, शांतिधारा, पूजन करता है, उसे एक विशेष अनुभूति की प्राप्ति होती है । अतिशयकारी बड़े बाबा के दर्शन मात्र से मन प्रफुल्लित हो जाता है, बड़े बाबा के दर्शन करके ऐसा महसूस होता है जैसे आज हमारा जैन कुल में जन्म लेना सार्थक हो गया ।
अतिशय क्षेत्र रानीला का संक्षिप्त परिचय
हरियाणा प्रांत के चरखी दादरी के पास रानीला गाँव में एक विशाल एवं भव्य जिनालय बना हुआ है । काफी दूर से ही जिनालय के आकर्षक गुंबद जिनालय की भव्यता की गाथा बताते हुए दिखते हैं। इस जिनालय को अतिशय क्षेत्र रानीला के नाम से जाना जाता है । यह जिनालय जैन श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है। यह प्राचीन मंदिर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को समर्पित है और अपनी जटिल वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। बताया जाता है कि 18 अक्टूबर 1991 को एक किसान को अपने खेत में भगवान आदिनाथ स्वामी एवं चक्रेश्वरी देवी की मूर्ति प्राप्त हुई थी । जो लाल बलुआ पत्थर से तराशकर बनाई गई थी ।
इतिहासकारों के अनुसार उक्त मूर्ति छठी-सातवीं शताब्दी की हो सकती है। भूगर्भ से प्राप्त एक ही पाषाण के केंद्र में भगवान आदिनाथ की एक प्रतिमा है, जिसके चारों ओर पद्मासन और कायोत्सर्ग मुद्राओं में 24 तीर्थंकरों की आकृतियाँ हैं। मूर्ति में आदिनाथ की छाती पर श्रीवत्स चिह्न और पीठिका के नीचे एक बैल की नक्काशी भी है। मूर्ति के चारों ओर की नक्काशी में यक्ष, उड़ते हुए जोड़े और जैन प्रतिमाओं से जुड़े अन्य प्रतीक अंकित हैं।
क्षेत्र का सौंदर्य एवं उपलब्ध सुविधाएं
श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र रानीला में प्राकृतिक सौंदर्य एवं जिनालयों की नक्काशी अदभुद एवं मनोहारी है । एक भव्य हॉल में वेदिका पर भूगर्भ से प्राप्त भगवान आदिनाथ की मूर्ति के साथ अन्य तीर्थंकरों की मूर्तियां विराजमान हैं। साथ ही चक्रेश्वरी देवी का भी मंदिर बना हुआ है । माना जाता है कि ऐतिहासिक महत्व के इस अतिशय क्षेत्र में भूगर्भ से प्राप्त मूलनायक आदिनाथ स्वामी की मूर्ति एक हज़ार साल से भी अधिक पुरानी बताई जाती है ।
यात्रियों के लिए क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएं
अतिशय क्षेत्र रानीला के सुरभ्य शांतिप्रिय वातावरण संयम की साधना के लिए सर्वोत्तम स्थान माना जा सकता है। यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आवास हेतु सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला बनी हुई है । क्षेत्र पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क भोजनाशाला संचालित की जाती है । भोजनशाला के लिए प्रतिदिन 10 कि.मी. दूर से रसोइया आता है और 20 कि. मी. दूर से सब्जी आदि लाई जाती है । सबसे बड़ी बात यह है कि रानीला क्षेत्र की प्रबंध समिति के लोग भी क्षेत्र से 50 और 100 किलोमीटर दूर से आकर सभी व्यवस्थाओं को देखते हैं।
अतिशय क्षेत्र रानीला दिल्ली से 118 किलोमीटर, भिवानी से 30 किलोमीटर और रोहतक से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नजदीकी रेलवे स्टेशन “चरखी दादरी” है ।
संपर्क सूत्र – मैनेजरअतिशय क्षेत्र रानीला
मोबाइल 9812342903
लेखक – मनोज जैन नायक, मुरैना 9893332493
अतिशय क्षेत्र रानीला के इतिहास में गणिनी आर्यिका आर्षमति माताजी का प्रथम चातुर्मास
