ग्वालियर। राजमाता विजयाराजे सिंधिया षि विश्वविद्यालय ग्वालियर में त्रि दिवसीय अखिल भारतीय समन्वित राई-सरसों अनुसंधान परियोजना की 32वीं वार्षिक समूह बैठक के दूसरे दिन में राई-सरसों अनुसंधान के विभिन्न विषयों जैसे पादप प्रजनन, कीट विज्ञान, शस्य विज्ञान, पादप रोग विज्ञान एवं पादप कार्यिकी विायों के विगत वर्ष में हुये अनुसंधानों की समीक्षा विषयवार विशेषज्ञों के साथ चर्चा कर नये वर्ष के लिये कार्य योजना तैयार की गई। सरसों फसल पर किये गये प्रथम पंक्ति प्रदर्शनों के परिणामों की भी समीक्षा की गई एवं उनके लाभों को ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाने के लिए कार्ययोजना तैयार की गई। इस तीन दिन दिवसीय आयोजन में देशभर से आये लगभग 250 कृषि वैज्ञानिक सरसों अनुसंधान में नये नवाचारों हेतु अपनी सहभागिता प्रदान कर रहे है।
कार्यशाला के दूसरे दिन वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई राई-सरसों की किस्मों का प्रस्तुतीकरण दिया जिसमें उन्होंने अलग-अलग राज्यों में तैयार की गई किस्मों के बारे में बताया गया। किस्मों की गुणवत्ता, उत्पादकता एवं तकनीक की जानकारी दी गई। जिसको लेकर वैज्ञानिकों द्वारा किये गये सवालों का जबाब दिया गया।
देश में ब्रीडर सीड प्रोडक्शन की क्या स्थिति है और देश में किन-किन किस्मों के कितने ब्रीडर सीड की आवश्यकता है इस पर चर्चा की गई। और तकनीकी हस्तांतरण कार्यक्रम के अंतर्गत बताया गया कि 2024-25 में देश के विभिन्न राज्यों में 10571 प्रथम पंक्ति प्रदर्शनों का आयोजन किया गया था इन प्रदर्शनों को देश के अलग-अलग 20 राज्यों के 168 जिलों में किया गया था। इन प्रदर्शनों में नवीनतम किस्मों की पैदावार क्षमता का आकलन किया गया और तकनीकों का मूल्यांकन किया गया। इस कार्यक्रम के तहत किसानों के खेतों पर ही नई किस्म एवं तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। जिससे उन किसानों में नये किस्मों और तकनीकों के प्रति विश्वास बढे और उन्हें अपनायें। इस वर्ष 2025-26 में देशभर में 5000 अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन लगाने की योजना हैं। जिसमें किसानों के खेतो पर नवीनतम किस्मों की बुवाई की जायेगी। और नवीनतम तकनीकों का मूल्यांकन किया जायेगा जिससे ये पता चलेगा कि किसानों के खेतो में जिन किस्मों के बीज की बुवाई की गई उनसे क्या पैदावार मिली है जिसका मूल्यांकन अगली वार्षिक समूह बैठक में होगा।
अधिकतम पैदावार होने वाले बीज का हुआ प्रस्तुतीकरण
कार्यशाला में बताया गया कि 2024-25 में मध्यप्रदेश में 1441 प्रदर्शनों (किसानों के खेतो में नवीनतम किस्मों से ली गई फसलें) लगाये गये थे। जिसमें मध्यप्रदेश की किस्म डीआरएमआर-1165,40 का प्रदर्शन किया गया था। जिसका औसत उत्पादन प्रति हेक्टेयर 23 क्विंटल से अधिक प्राप्त होगा। जिससे यह पता चला कि यह किस्म मध्यप्रदेश की जलवायु के हिसाब से अनुकूल है और अधिकतम पैदावार देेने में सक्षम है। जिसको किसान अपनाते है तो उससे उनको अच्छी पैदावार मिलेगी।
कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान सेवायें डॉ. संजय शर्मा ने जानकारी दी कि अखिल भारतीय समन्वित राई-सरसों अनुसंधान परियोजना की 32वीं वार्षिक समूह बैठक का समापन कार्यक्रम आज 08 अगस्त शुक्रवार को दोपहर 12.30 बजे आयोजित किया जायेगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रा.वि.सिं. कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरविन्द कुमार शुक्ला होगें तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक (तिलहन एवं दलहन) डॉ. संजीव गुप्ता करेगें
कृषि विश्वविद्यालय मे त्रि—दिवसीय अखिल भारतीय समन्वित राई-सरसों अनुसंधान परियोजना की 32वीं वार्षिक समूह बैठक समापन आज
