सैफई(इटावा)-उत्तर प्रदेश के उन्नत चिकित्सा शिक्षा के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया जब यू.पी.ओ.ए. स्पेशल कोर्स – 2025 के अगले चरण के रूप में, उत्तर प्रदेश यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज, सैफई में पहले “सैफई नी अर्थ्रोस्कोपी कैडावेरिक कोर्स” का सफल आयोजन हुआ।
यह कार्यशाला SOA (सैफई ओर्थोपेडिक संघठन) तथा ऑर्थोपेडिक्स एवं एनाटॉमी विभाग, के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई।इस अत्यंत महत्वपूर्ण अकादमिक आयोजन में उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों से आए 20 से अधिक अनुभवी आर्थ्रोस्कोपी सर्जनों ने 35 से अधिक युवा और उभरते हड्डी रोग विशेषज्ञों को कैडावेरिक डेमोंस्ट्रेशन के माध्यम से घुटने की दूरबीन विधि ( घुटने की अर्थ्रोस्कोपी) का बारीकी से प्रशिक्षण दिया। यह कोर्स घुटनों की लिगामेंट इंजरी, विशेषकर ACL/PCL Injuries के आधुनिक दूरबीन तकनीकों पर केंद्रित रहा। कार्यशाला के आयोजन अध्यक्ष के रूप में प्रोफेसर डॉ. सुनील कुमार, संयोजन सह-अध्यक्ष के रूप में डॉ. नित्यानंद श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष, एनाटॉमी विभाग,जबकि मुख्य संयोजक रहे प्रोफेसर डॉ. हरीश कुमार, विभाग ऑर्थोपेडिक्स रहे I
डॉ. राजीव रमण (कोलकाता) सेक्रेटरी जनरल, इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन, एवं दुनियाभर में विख्यात आर्थ्रोस्कोपी सर्जन ने इस पूरे कोर्स को डिजाइन किया और स्वयं प्रशिक्षण प्रदान कियाकार्यशाला के मुख्य ट्रेनर के रूप में उपस्थित थे उनके नेतृत्व में आयोजित इस कैडावेरिक कोर्स में 6 अलग-अलग स्टेशनों पर प्रतिभागियों को टेबल वाइज हैंड्स ओन सर्जिकल ट्रेनिंग प्रदान की गई।
प्रशिक्षण देने वाले टेबल इंस्ट्रक्टर्स में देश के प्रतिष्ठित सेंटरों से अनुभवी दूरबीन सर्जन सर्जन शामिल रहे डॉ. मोअज्जम जह लखनऊ डॉ. चंदन कुमार कानपुरडॉ. अरुणिम स्वरूप मेरठडॉ. सचिन जैन ग्वालियर
डॉ. विकास सक्सेना नोएडा
डॉ अजय भारती गोरखपुर
इन विशेषज्ञों ने बेसिक आर्थ्रोस्कोपी से लेकर एडवांस्ड लिगामेंट रीकंस्ट्रक्शन तक की विधियाँ सिखाईं।
कार्यशाला का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) पी.के. जैन द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में वरिष्ठ आर्थ्रोस्कोपी विशेषज्ञ डॉ. राजीव रमण मौजूद रहे।
कुलपति ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा यह UPUMS के इतिहास में पहली बार है कि हड्डी रोग विभाग द्वारा एनाटॉमी विभाग के सहयोग से कैडावेरिक कार्यशाला आयोजित की गई है। यह कार्यशाला न केवल चिकित्सा शिक्षा में गुणवत्ता वृद्धि की दिशा में एक कदम है, बल्कि आने वाले समय में संस्थान को आर्थ्रोस्कोपी प्रशिक्षण का प्रमुख केंद्र बनाएगी। अध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष डॉ सुनील कुमार ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए बताया की इस कार्यशाला ने न केवल एक नई परंपरा की शुरुआत की बल्कि आने वाले समय में UPUMS को आर्थ्रोस्कोपी प्रशिक्षण का केंद्र बनाने की ओर एक बड़ा कदम सिद्ध किया I साथ ही कहा की कार्यशाला में पूरे दिन शैक्षणिक वातावरण, गहन तकनीकी चर्चाएँ और हाथों से सीखने का अद्भुत समन्वय देखने को मिला, जो युवा सर्जनों के लिए एक अमूल्य अनुभव सिद्ध हुआ
आयोजन सह अध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष एनाटोमी डॉ नित्या नन्द श्रीवास्तव ने बताया की एनाटोमी और ओर्थोपेडिक विभाग सयुक्त रूप से इस तरह के आयोजन मेडिकल लोगो के लिए रेगुलर आयोजित अब आगे करते रहेगे Iकार्यशाला के आयोजन सचिव डॉ. हरीश कुमार (प्रोफेसर, ऑर्थोपेडिक्स विभाग) ने सभी गणमान्य एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद देते हुए कहा की कोर्स से ट्रेनिंग प्राप्तकर डॉक्टर्स भविष्य में घुटनों की दूरबीन सर्जरी में दक्ष होकर समाज की सेवा कर सकेगे I कार्यक्रम की गुणवत्ता ने आयोजन को “केवल राष्ट्रीय नहीं, बल्कि प्रतिष्ठित और व्यापक स्तर का वैज्ञानिक सम्मेलन” बना दिया।
उन्होंने यह भी बताया कि इस कार्यशाला को सफल बनाने में ऑर्थोपेडिक्स एवं एनाटॉमी विभाग, विश्वविद्यालय प्रशासन, तकनीकी सहयोगियों, जूनियर एवं सीनियर रेजिडेंट्स तथा कैडावर हॉल स्टाफ का अथक योगदान रहा।
सैफई नी अर्थ्रोस्कोपी कैडावेरिक कोर्स का किया गया ऐतिहासिक आयोजन
