इटावा- नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर देश के 27 लाख बिजली कर्मियों ने एक दिन की सांकेतिक हड़ताल की । उत्तर प्रदेश के लगभग एक लाख बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने कार्यालय/ कार्य स्थल से बाहर आकर निजीकरण के विरोध में पूरे दिन व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर के त्रिवेदी, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाईज के महामंत्री मोहन शर्मा, इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉइज फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के महामंत्री सुदीप दत्ता, इंडियन नेशनल इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन के महामंत्री कुलदीप कुमार और ऑल इंडिया पावर मेन्स फेडरेशन के महामंत्री समर सिन्हा ने यहां जारी बयान में कहा है कि भारत सरकार की एवं राज्य सरकारों की बिजली के निजीकरण की जन विरोधी नीतियों के विरोध में और खास कर उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में देश के सभी प्रांतों के लगभग 27 लाख बिजली कर्मियों ने एक दिन की सांकेतिक हड़ताल कर अपनी एकजुटता का परिचय दिया है।नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि बिजली के निजीकरण का निर्णय वापस लिया जाए और भारत सरकार से मांग की है कि भारत सरकार का विद्युत मंत्रालय इस मामले में पहल कर उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण का निर्णय निरस्त करवाना सुनिश्चित करें।नेशनल कॉर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉइज एंड इंजीनियर्स के राष्ट्रीय नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि उत्तर प्रदेश में दो विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण का निर्णय वापस न लिया गया और उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों का उत्पीड़न करने की कोशिश की गई तो देश के तमाम बिजली कर्मी मूकदर्शक नहीं रहेंगे और देशव्यापी आंदोलन करने हेतु बाध्य होंगे।उत्तर प्रदेश में लगभग एक लाख बिजली कर्मी अपने कार्यालय/ कार्य स्थल को छोड़कर बाहर आए और उन्होंने पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का निर्णय तत्काल निरस्त करने की मांग की । आज पूरे प्रदेश में निजीकरण के विरोध नारे लगे। उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों के समर्थन में केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारी संगठन, उपभोक्ता संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले बड़ी संख्या में किसान भी विभिन्न जनपदों में प्रदर्शन में सम्मिलित हुए।किसान और उपभोक्ता संगठनों ने भी चेतावनी दी है कि यदि उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों का उत्पीड़न किया गया तो किसान और उपभोक्ता भी सड़कों पर उतरेंगे। लखनऊ, वाराणसी, आगरा, त्रिवेंद्रम, हैदराबाद, विजयवाड़ा, बेंगलुरु, पुडुचेरी, मुंबई, नागपुर, गांधीनगर, जबलपुर, रायपुर, कोरबा, भोपाल, कोलकाता, गुवाहाटी, शिलांग, भुवनेश्वर, रांची, पटना, श्रीनगर, जम्मू, शिमला, पटियाला, चंडीगढ़, देहरादून जयपुर और दिल्ली में बिजली कर्मियों ने सांकेतिक हड़ताल के दौरान व्यापक विरोध प्रदर्शन किया और उप्र में किए जा रहे बाद बिजली के निजीकरण का निर्णय रद्द करने की मांग की। राजधानी लखनऊ में शक्ति भवन मुख्यालय पर हजारों बिजली कर्मी उमड़ पड़े। दफ्तर पूरी तरह खाली हो गए। बिजली कर्मचारियों,संविदाकर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने पूरे दिन विरोध प्रदर्शन कर पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के निर्णय रद्द करने की मांग की गई।लखनऊ में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों संजय सिंह चौहान, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, पी.के.दीक्षित, सुहैल आबिद, चंद्र भूषण उपाध्याय, विवेक सिंह, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, आर बी सिंह, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, रामचरण सिंह, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, देवेन्द्र पाण्डेय, के.एस. रावत, राम निवास त्यागी, प्रेम नाथ राय, शशिकान्त श्रीवास्तव, मो इलियास, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, विशम्भर सिंह ने मुख्यतया सभा को संबोधित कि
बिजली के निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल उत्तर प्रदेश में एक लाख बिजली कर्मी सड़कों पर उतरे
